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द्रौपदी मुर्मू बनीं देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल

ओडिशा की आदिवासी राजनीतिज्ञ द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को झारखंड के नौवें राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण की. वह देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल हैं.

द्रौपदी मुर्मू द्रौपदी मुर्मू
aajtak.in
  • रांची,
  • 18 मई 2015,
  • अपडेटेड 8:08 AM IST

ओडिशा की आदिवासी राजनीतिज्ञ द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को झारखंड के नौवें राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण की. वह देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल हैं.

झारखंड राजभवन के बिरसा मंडप में आयोजित एक समारोह में राज्य के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने द्रौपदी मुर्मू को पद की शपथ दिलाई. देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल मुर्मू ने अंग्रेजी में शपथ ग्रहण की. उन्होंने डॉ सैयद अहमद की जगह ली है जिन्हें मणिपुर का राज्यपाल बनाकर वहां ट्रांस्फर किया गया है.

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दो विधायक, एक बार मंत्री रह चुकी हैं मुर्मू
ओडिशा के मयूरभंज जिले की रहने वाली द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक रही हैं. वह भाजपा-बीजू जनता दल की ओडिशा में बनी गठबंधन सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं.

झारखंड के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष और कोडरमा से सांसद रवीन्द्र राय ने कहा, बीजेपी के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार ने देश के आदिवासी समुदाय को उनका हक देने के प्रयास के तहत एक आदिवासी महिला नेता को राज्यपाल बनाया है. इससे पूरे देश में ही नहीं, विश्व में भी अच्छा संदेश जाएगा.'

राज्य के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने भी द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल बनाए जाने का स्वागत किया और कहा कि 'यह केन्द्र सरकार का अच्छा कदम है.'

द्रौपदी मुर्मू से पहले झारखंड के गठन के बाद 15 नवंबर, 2000 को प्रभात कुमार यहां के पहले राज्यपाल बने थे. उनके बाद वीसी पांडे, एम रामा जोइस, वेद मारवाह, सैयद सिब्ते रजी, के शंकरनारायणन, एमओएच फारुक और डॉ. सैयद अहमद यहां के राज्यपाल रहे. सैयद अहमद ने 4 सितंबर, 2011 को झारखंड के राज्यपाल का पद ग्रहण किया था.

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शपथग्रहण में पहुंचे 500 से ज्यादा लोग
शपथ ग्रहण समारोह में केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री सुदर्शन भगत, राज्य सरकार के शीर्ष पदाधिकारी, उच्च न्यायालय के कई न्यायाधीश, सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी समेत कई दिग्गज मौजूद थे. खास बात यह थी कि राज्यपाल मुर्मू के गृह नगर मयूरभंज और ओडिशा से पांच सौ से ज्यादा लोग उनका शपथ ग्रहण देखने रांची पहुंचे थे और उनके बैठने के लिए बिरसा मंडप में अलग से व्यवस्था की गयी थी.

भाषा से इनपुट

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