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दिल्ली: अब बिना ड्राइवर के चलेंगी मेट्रो ट्रेनें, ट्रायल पर केजरीवाल-नायडू ने दिखाई हरी झंडी

दिल्ली में मंगलवार को ड्राइवर लेस मेट्रो ट्रेन का ट्रायल किया गया. इस मौके पर केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने बिना ड्राइवर वाली मेट्रो ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी ड्राइवर लेस मेट्रो ट्रेन की विधिवत शुरुआत के मौके पर मौजूद थे.

ड्राइवर लेस मेट्रो ट्रेन को हरी झंडी ड्राइवर लेस मेट्रो ट्रेन को हरी झंडी
सुरभि गुप्ता/अमित कुमार चौधरी/कपिल शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 18 मई 2016,
  • अपडेटेड 9:47 AM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने मुकंदपुर-मजलिस पार्क ऑटोमेटिक मेट्रो को हरी झंडी दिखाई. अपने संबोधन में नायडू और केजरीवाल ने जोर दिया कि मेट्रो शहर में यातायात और प्रदूषण संबंधी चिंताओं का बेहतर जवाब है.

दिसंबर से चलेंगी ड्राइवर लेस मेट्रो ट्रेनें
बिना ड्राइवर वाली देश की पहली मेट्रो ट्रेन को दिसंबर 2016 में चलाने की तैयारी है, हालांकि शुरुआत में ट्रेन में एहतियात के तौर पर ड्राइवर भी रहेंगे, लेकिन सब कुछ ठीक रहने पर ट्रेनें बिना ड्राइवर के चलेंगी.

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डीएमआरसी के एमडी मंगू सिंह ने बताया कि दिसंबर में इस योजना का थर्ड फेज पूरा होने पर ड्राइवर लेस मेट्रो ट्रेनें चलेंगी. श्री सिंह ने बताया कि ड्राइवर लेस मेट्रो ट्रेनें अपने आप चलेंगी. इन्हें मॉनीटर किया जाएगा और पूरा रास्ता तय करके ट्रेनें डिपो में पार्क हो जाएंगी.

ड्राइवर लेस मेट्रो ट्रेन्स के फायदे
ड्राइवर लेस मेट्रो ट्रेन्स से 33 फीसदी बिजली की खपत कम होगी. ड्राइवर लैस ट्रेनों में 4 से 6 फीसदी तक ज्यादा यात्री सफर कर सकते हैं, यानी यात्रियों के साथ-साथ दिल्ली मेट्रो के लिए भी ड्राइवर लेस ट्रेनें मुनाफे का सौदा साबित होंगी.

फिलहाल दिल्ली मेट्रो ने कुल 81 चालक रहित मेट्रो ट्रेनें खरीदी हैं, जिसके हर कोच में 380 यात्री सफर कर सकेंगे, जिससे 6 डिब्बों की हर मेट्रो ट्रेन में 240 ज्यादा यात्री सफर कर सकेंगे. बिना ड्राइवर वाली इन मेट्रो ट्रेन्स के ट्रायल चल रहे हैं. शुरुआत में एहतियात के तौर पर इन मेट्रो में ड्राइवर तैनात होंगे.

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ज्यादा स्मार्ट होगी ड्राइवर लैस मेट्रो
ट्रेन में यात्रियों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. हर कोच में एलसीडी स्क्रीन लगी हैं, जिसमें यात्रियों को स्टेशन की जानकारी दी जाएगी. हर कोच की हर सीट पर मोबाइल चार्जिंग सॉकेट लगे हैं.

ड्राइवर लेस मेट्रो में सुरक्षित यात्रा की गारंटी
आंखों को भाने वाली खूबसूरती से सजी ड्राइवर लेस मेट्रो में सेफ्टी के भी फुलप्रूफ इंतजाम हैं. मेट्रो प्रशासन का तो कहना है कि बिना ड्राइवर की मेट्रो ट्रेन ड्राइवर वाली मेट्रो से ज्यादा सुरक्षित यात्रा की गारंटी देगी.

न्यूयॉर्क में 1961 में चली थी पहली ऑटोमेटिक ट्रेन
देश में पहली बार ड्राइवर लेस या फिर यूं कहें कि पूरी तरह से ऑटोमेटिक मेट्रो ट्रेन दिल्ली में चलेगी, हालांकि दुनिया के कई देशों में ऐसी ट्रेनें कई दशकों से चल रही हैं. दुनिया में पहली बार पूरी तरह से ऑटोमेटिक ट्रेन न्यूयॉर्क में साल 1961 में चलाई गई थी.

2014 तक दुनिया के 32 देशों में 47 पूरी तरह से ऑटोमेटिक मेट्रो रेल सिस्टम इस्तेमाल हो रहे हैं. लंदन के इंपीरियल कॉलेज की स्टडी के मुताबिक दुनिया के 6 फीसदी रेल ट्रांजिट सिस्टम पर पूरी तरह से ऑटोमेटिक ट्रेनें चलती हैं.

ऑटोमेटिक ट्रेनों से होता है ज्यादा मुनाफा
स्टडी के मुताबिक पूरी तरह से ऑटोमेटिक ट्रेनें चलाने का खर्च सामान्य ट्रेनें चलाने से 70 फीसदी तक कम होता है. स्टडी में यह दावा भी किया गया है कि पूरी तरह से ऑटोमेटिक ट्रेनें सामान्य ट्रेनों के मुकाबले 10 से 15 फीसदी ज्यादा मुनाफा देती हैं.

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