
बिटक्वाइन के बारे में आपने सुना होगा. इंटरनेट की दुनिया की इस करेंसी की कीमत लाखों में होती है. इसे इंटरनेट पर चल रहे काले कारोबारों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. दिल्ली पुलिस के हाथ दो ऐसे ही ड्रग तस्कर लगे हैं, जो इंटरनेट पर ऑर्डर लेकर ड्रग की सप्लाई करने के बाद उसका पैमेंट बिटक्वाइन से लिया करते थे.
ऑनलाइन शॉपिंग. ऑनलाइन सेल. ऑनलाइन पेमेंट. यानी खरीदने से लेकर बेचने तक सब कुछ ऑनलाइन. सरकार की भाषा में कहें तो देश आगे बढ़ रहा है. लोग बिना कैश के ही अपनी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं. लेकिन ऑनलाइन के ज़माने में कैसे धंधेबाज़ों की भी चांदी हो रही है. इसका खुलासा दिल्ली पुलिस के सामने दो तस्करों ने किया.
रेव पार्टियों में नौजवानों के थिरकते कदम. नशे की मद मे मदहोश होती न्यू जेनेरेशन. जैसे जैसे नशे का सुरूर चढ़ता. वैसे वैसे ड्रग्स की डिमांड और ज़ोर पकड़ने लगती. बस इसी डिमांड को पूरा करने के लिए पार्टी में हाज़िर होता था. डीजे कमल कालरा. दिल्ली के रोहिणी का रहने वाला कमल दिल्ली एनसीआर की रेव पार्टी में ड्रग्स का सौदा करता था.
उसमें उसका साथी महेश गोयल पूरा साथ देता था. नौजवानों की इस कमज़ोरी का फायदा उठाते हुए इन दोनों ड्रग तस्करों ने बड़ा नायाब तरीका इजाद किया था. ऑनलाइन वेबसाइट के जरिए ये अपने इस काले कारोबार को पुलिस की नजरों से बचाते हुए. आगे बढ़ा रहे थे. पुलिस को जब ड्रग्स के इस ऑनलाइन कारोबार की खबर मिली तो होश उड़ गए.
डिजिटल सिस्टम का गलत फायदा उठाकर दिल्ली एनसीआर में ड्रग सप्लाई करने का ये बिल्कुल नया तरीका है, जो स्कूली बच्चों से लेकर हर युवा के लिए मंगवाना आसान है. क्योंकि इसमें खास तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके डीप नेट और डार्क नेट के जरिए खास टोर ब्रॉउजेर डाउनलोड करके गूगल में जाकर इन्हें कोई भी ड्रग आसानी से मिल जाती थी.
पुलिस की पकड़ में आई ड्रग्स की सप्लाई यूरोपियन देशों से भारत में होती थी. ज्यादातर ड्रग का इस्तेमाल देश के बड़े शहरों में होने वाली रेव पार्टियों में किया जाता था. दिल्ली-एनसीआर के कई डिस्कोथैक भी ऐसे हैं, जहां पर पुलिस की पकड़ में आए ड्रग तस्कर नशे की खेप को बेचा करते थे. इस मामले ने हर किसी को चौंका दिया है.