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दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन रैकेट का पर्दाफाश, 4 गिरफ्तार

100 फीसदी कट ऑफ के साथ देश भर में अपना जलवा बिखेरने वाली दिल्ली यूनिवर्सिटी एक बार फिर विवादों में हैं. इस बार विवाद ताजा एडमिशन रैकेट का है.

Delhi University Delhi University
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2015,
  • अपडेटेड 11:40 AM IST

100 फीसदी कट ऑफ के साथ देश भर में अपना जलवा बिखेरने वाली दिल्ली यूनिवर्सिटी एक बार फिर विवादों में हैं. इस बार विवाद ताजा एडमिशन रैकेट का है. जिसमें फर्जी दस्तावेजों से दाखिले को अंजाम दिया गया. क्राइम ब्रांच ने डीयू में जिस एडमिशन रैकेट का पर्दाफाश किया है वो वाकई चौंकाने वाला है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी को देश की नम्बर वन यूनिवर्सिटी का तमगा हासिल हैं. हिंदू, केएमसी, कमला नेहरु कुछ ऐसे कॉलेज हैं. जहां एडमिशन लेने का सपना हर छात्र का होता हैं. ऐसे में इन फर्जीवाड़े के बाद डीयू के छात्र उदास हैं तो वहीं डीयू इस मामले में खुद को पाक-साफ बता रहा है.

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इस मामले में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें कॉलेज का एक छात्र भी शामिल है. ज्वॉइंट सीपी (क्राइम) रविंद्र यादव ने बताया कि एसीपी केपीएस मल्होत्रा की टीम ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया.  उन्होंने बताया कि आरोपियों की पहचान सुनील पंवार उर्फ गुरूजी, मोहम्मद जुबैर, प्रवीण झा और रंचित खुराना के रूप में हुई है.

डीयू के साउथ और नॉर्थ कैंपस के कई प्रसिद्ध कॉलेज इस फर्जीवाड़े की चपेट में हैं. जिन कॉलेजों का नाम सामने आया है उनमें हिंदू कॉलेज, किरोड़ीमल कॉलेज, अरविंदो कॉलेज, दयाल सिंह, रामलाल आंनद और कमला नेहरु कॉलेज जैसे टॉप कॉलेज शामिल हैं. इस फर्जीवाड़े के सामने आने पर डीयू के छात्रों ने चिंता जताई है.

डीयू में अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम की 54 हजार सीटों के लिए लाखों आवेदन आते हैं. हर साल दाखिले के लिए मारा-मारी होती हैं. ऐसे में इस फर्जीवाड़े से ना सिर्फ डीयू की इमेज को धक्का लगा है बल्कि कॉलेज की एडमिशन की प्रक्रिया पर भी सवाल उठने लगे हैं. हिंदू कॉलेज की प्रिंसिपल अंजू श्रीवास्तव के मुताबिक दाखिले में पूरी पारदर्शिता बरती गई है. डीयू के निर्देशों का पालन किया गया है. जिस फर्जीवाड़े का जिक्र किया जा रहा है उसके संबंध में क्राइम ब्रांच की तरफ से उन्हें या कॉलेज को कोई सूचना नहीं मिली.

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वहीं डीयू प्रशासन का कहना है वो  ग्रेजुएशन स्तर पर एडमिशन के लिए केवल गाइडलाइन जारी करती है. बाकी पूरी प्रक्रिया जिसमें सर्टिफिकेट की जांच भी शामिल है, कॉलेज के स्तर पर पूरी होती है. हालांकि कॉलेज के प्रोफेसर इस पूरे मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं.

रतनलाल, हिस्ट्री प्रोफेसर हिंदू कॉलेज ने इस मामले में सीबीआई से जाँच की मांग करते हुए कहा है की वो इस मामले को एससी, एसटी आयोग ले जायेंगे. रतनलाल के मुताबिक ऐसे मामले में लापरवाही भी होती है और बड़े लोगों की मिलीभगत भी. वहीं छात्रसंगठनों का मानना है कि डीयू के कॉलेजों में इस तरह के फर्जीवाड़े का सामने आना वाकई शर्मनाक है.

एबीवीपी के मुताबिक इस फर्जीवाड़े में शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. कोर्स स्ट्रक्चर से लेकर सेक्सुअल हैरासमेंट तक, एक के बाद एक डीयू के कई कॉलेज लगातार विवादों में बने हुए हैं. ऐसे में इस नए फर्जीवाड़े से ना सिर्फ डीयू का नाम खराब हो रहा हैं बल्कि डीयू की विश्वनीयता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

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