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DUSU चुनाव: ABVP ने जारी किया मेनिफेस्टो, स्टूडेंट इश्योरेंस पर जोर

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. इस साल चुनाव एबीवीपी बनाम एनएसयूआई होगा. लिहाजा एबीवीपी चारों सीटों पर एक बार फिर कब्ज़ा ज़माने की कोशिश में जुट गई है.

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के युवा नेता दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के युवा नेता
रोशनी ठोकने
  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:14 AM IST

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. इस साल चुनाव एबीवीपी बनाम एनएसयूआई होगा. लिहाजा एबीवीपी चारों सीटों पर एक बार फिर कब्ज़ा ज़माने की कोशिश में जुट गई है.

एबीवीपी ने छात्रसंघ चुनाव के लिए अपना मैनिफेस्टो जारी किया. 12 सितम्बर को दिल्ली विश्वविद्यालय में होने वाले छात्रसंघ चुनाव के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मंगलवार को अपना मैनिफेस्टो किया. लगातार डूसू पर काबिज एबीपीवी ने इस साल मैनिफेस्टो में कुछ नए मुद्दों पर जोर दिया है. एबीवीपी के मुताबिक इस साल एडमिशन प्रोसेस में रिफॉर्म, फीस स्ट्रक्चर में संतुलन के साथ-साथ हर डीयू स्टूडेंट के लिए 5 लाख रुपये के स्टूडेंट इंश्योरेंस को प्राथमिकता दी है.

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एबीवीपी के नेशनल जनरल सेक्रेटरी विनय बिदरे ने बताया कि इस साल हम छात्रों के इश्योरेंस पर जोर दे रहे है. हर छात्र को प्रतिदिन 1 रुपये के हिसाब से 5 लाख रुपये का छात्र इश्योरेंस दिलाने की कोशिश एबीवीपी की है. डूसू जीतने के बाद एबीवीपी छात्र इश्योंरेंस की मांग पूरजोर तरीके से उठाएगी.हालांकि जिन मुद्दों पर एबीवीपी डीयू छात्रों से वोट मांग रही है वो लगभग वही मुद्दे हैं जो पिछले साल भी घोषणा पत्र में नजर आए थे. एबीवीपी ने घोषणा पत्र में कॉलेजों में हॉस्टल की उपलब्धता, छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी कॉलेजों के बाहर सीसीटीवी कैमरा, सुरक्षित कैंपस, यूनिवर्सिटी स्पेशल बसें, साउथ कैंपस में स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स, सभी छात्रों के लिए यूनिवर्सिटी हेल्थ सेंटर कार्ड जैसे मुददों को उठाया है.

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एबीवीपी के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक साकेत बहुगुणा ने कहा, कि पुराने मुद्दे इसलिए शामिल किए गए हैं क्योंकि ये सतत प्रयास वाले मुद्दे हैं एबीवीपी के प्रयास से ही भारती कॉलेज, हिंदू कॉलेज में पिछले साल हॉस्टल शुरू हुए हैं, इस साल कई और कॉलेजों में हॉस्टल खोलने के लिए प्रयास किया जाएगा. ये एक दिन में या एक साल में पूरे होने वाले मुद्दे नहीं है.

आपको बता दें कि लगातार चार सालों से डूसू पर एबीवीपी काबिज है. 2013 में एबीवीपी को डूसू की तीन सीटें मिली थी, 2014 और 2015 में एबीवीपी चारों सीटें जीतने में कामयाब रही थी, हालांकि 2016 में एबीवीपी के हाथ से डूसू की एक सीट फिसल गई थी. लिहाजा इस बार एबीवीपी फिर से डूसू की चारों सीटें जीतने की कोशिश लगी हुई है.

हालांकि एनएसयुआई के लिए इस बार डूसू में अपनी जगह बचाये रखने की जंग है. सीवाईएसएस के चुनावी दंगल से बाहर होने के बाद डूसू में फिर से एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच आर या पार का मुकाबला होगा। ऐसे में दावों और वादों के बीच राष्ट्रवाद का मुद्दा भी डूसू में दिखाई देगा.

 

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