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स्टडी में खुलासा, एंटीबायोटिक्स से शुरुआती डिमेंशिया का इलाज संभव

एंटीबायोटिक्स की एक क्लास 'एमिनोग्लाइकोसाइड्स' के जरिए शुरुआती डिमेंशिया (पागलपन) का अच्छा उपचार हो सकता है. यह मस्तिष्क के फ्रंटोल और टेम्पोरल लोब को प्रभावित करता है, जिससे व्यवहार में बदलाव, बोलने और लिखने में कठिनाई और यादाश्त कमजोर होने लगती है.

डिमेंशिया आमतौर पर 40 और 65 की उम्र के बीच शुरू होता है डिमेंशिया आमतौर पर 40 और 65 की उम्र के बीच शुरू होता है
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 4:40 PM IST

एंटीबायोटिक्स की एक क्लास 'एमिनोग्लाइकोसाइड्स' के जरिए शुरुआती डिमेंशिया (पागलपन) का अच्छा उपचार हो सकता है. एक स्टडी में शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया है. फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया, शुरुआती डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है, जो आमतौर पर 40 और 65 की उम्र के बीच शुरू होता है.

यह मस्तिष्क के फ्रंटोल और टेम्पोरल लोब को प्रभावित करता है, जिससे व्यवहार में बदलाव, बोलने और लिखने में कठिनाई और यादाश्त कमजोर होने लगती है.

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ह्यूमन मॉलिक्यूलर जेनेटिक्स में छपे एक शोध के अनुसार, फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया के रोगियों के एक सबग्रुप में एक विशिष्ट जेनेटिक म्यूटेशन होता है. यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को प्रोग्रानुलिन नामक प्रोटीन बनाने से रोकता है.

अमेरिका स्थित केंटकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि इस म्यूटेशन के साथ न्यूरोनल कोशिकाओं में अमीनोग्लाइकोसाइड एंटीबायोटिक्स के जुड़ने के बाद कोशिकाओं ने म्यूटेशन को छोड़ दिया और फुल लेंथ के प्रोग्रानुलिन प्रोटीन बनाना शुरू कर दिया.

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