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दिल्ली-एनसीआर भूकंप से हिला, जानिए- कैसी है इससे निबटने की तैयारी

दिल्ली-एनसीआर में शुक्रवार 20 दिसंबर को भूकंप आने के बाद पूरे उत्तर भारत में चर्चा तेज हो गई है. चिंता दिल्ली के लोगों को भी है कि अगर देश की राजधानी में अधिक तीव्रता का भूकंप आ गया तो क्या होगा.

24 सितंबर को पाकिस्तान में भूकंप के दौरान की तस्वीर (AP) 24 सितंबर को पाकिस्तान में भूकंप के दौरान की तस्वीर (AP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 6:23 PM IST

दिल्ली-एनसीआर में शुक्रवार 20 दिसंबर को भूकंप आने के बाद पूरे उत्तर भारत में चर्चा तेज हो गई है. चिंता दिल्ली के लोगों को भी है कि अगर देश की राजधानी में अधिक तीव्रता का भूकंप आ गया तो क्या होगा.

दिसंबर 2019 की 20 तारीख को दिल्ली-एनसीआर में भूकंप आने के बाद पूरे उत्तर भारत में चर्चा तेज हो गई है. चिंता दिल्ली के लोगों को भी है कि अगर देश की राजधानी में अधिक तीव्रता का भूकंप आ गया तो क्या होगा. यूं तो दिल्ली में गाहे-बगाहे भूकंप से बचने के लिए मॉक ड्रिल की जाती रही है लेकिन ज्यादातर लोग इन सारी कोशिशों से अनजान ही रहते हैं. सवाल ये है कि दिल्ली की ये ऊंची-ऊंची इमारतें, ये अपार्टमेंट, क्या बड़ा भूकंप झेल सकते हैं...

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एक्सपर्ट की राय: दिल्ली में भूकंप की आशंका से तबाही मचने की दो बड़ी वजहें हैं, पहली कुदरती है और दूसरी हमने खुद पैदा की है. एनडीएमए की एक रिसर्च के मुताबिक दिल्ली के 92 फीसदी मकान क्रंकीट और सरिए से बने हैं. लिहाजा 90 फीसदी से ज्यादा इमारतें 6 रिक्टर स्केल से तेज भूकंप झेलने की ताकत नहीं रखतीं.

ये है कुदरत का रोल

-भूकंप के खतरे के लिहाजा से दिल्ली दूसरे नंबर के सबसे खतरनाक सिस्मिक जोन-4 में है

-दिल्ली फाल्ट लाइन यानी जमीन के नीचे भूकंप के लिहाज से सक्रिय तीन इलाकों की सरहद पर बसी है

- ये फाल्ट लाइन हैं...सोहाना फाल्ट लाइन, मथुरा फाल्ट लाइन और दिल्ली-मुरादाबाद फाल्ट लाइन

ये भी है खतरे में

लंबी रिसर्च के बाद आईआईएससी यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के वैज्ञानिक भी दिल्ली, कानपुर, लखनऊ और उत्तरकाशी के इलाकों में भयंकर भूकंप आने की चेतावनी दे चुके हैं। यानी करीब करीब पूरा उत्तर भारत भूकंप की चपेट में आ सकता है

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एक्सपर्ट की राय में दिल्ली पर खतरे का वक्त बताना आसान नहीं

एक तरफ दिल्ली पर तबाही के भारी खतरे की कुदरती वजहें मौजूद हैं, तो दूसरी तरफ दिल्लीवालों ने भी खतरा बढ़ाने में अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी है. दिल्ली की आबादी करीब डेढ़ करोड़ है और हर एक वर्ग किलोमीटर में करीब दस हजार लोग रहते हैं.

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