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दिल्ली-NCR पर भूकंप का खतरा, जानें सबसे सुरक्षित जगह

राजधानी दिल्ली से अगर सीधे-सीधे देखें तो हिमालय की दूरी 200 से 250 किलोमीटर के बीच है. हिमाचल के कांगड़ा इलाके में अगर कोई 8 या इससे बड़े परिमाण का भूकंप आता है तो दिल्ली पर इसका सीधा असर पड़ेगा.

बुधवार को म्यांमार में आया भूकंप बुधवार को म्यांमार में आया भूकंप
लव रघुवंशी/सिद्धार्थ तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 9:43 PM IST

भूकंप भले ही म्यांमार में आया हो, लेकिन इसकी दहशत दिल्ली तक महसूस की गई. पिछले तीन दिनों में यहां पर तीन हल्के भूकंपों को महसूस किया गया है. भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक दिल्ली और आसपास के इलाकों से कई फॉल्ट होकर गुजरते हैं. इन फॉल्ट लाइनों में से मुख्य है दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट, दिल्ली-हरिद्वार और सोहना फॉल्ट. फॉल्ट जोन वो इलाके होते हैं, जिनमें चट्टानें अलग-अलग दिशा में मूवमेंट कर रही होती हैं.

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दिल्ली सबसे खतरनाक जोन में
इन सभी फॉल्ट लाइनों में 6 के आसपास के परिमाण का भूकंप पैदा करने की क्षमता है. यानी दिल्ली और आस-पास के इलाकों में रिक्टर स्केल पर 6 के परिमाण का भूकंप का केंद्र हो सकता है. लेकिन दिल्ली को स्थानीय स्तर पर आने वाले किसी भूकंप से उतना खतरा नहीं है, जितना हिमालय में आने वाले किसी भीषण भूकंप से. हिमालय के नजदीक होने और बड़ी आबादी का शहर होने की वजह से राजधानी दिल्ली को भूकंप के लिहाज से जोन चार में रखा जाता है. यानी सबसे खतरनाक जोन के बाद का जोन.

...तब कुतुबमीनार को हुआ था नुकसान
राजधानी दिल्ली से अगर सीधे-सीधे देखें तो हिमालय की दूरी 200 से 250 किलोमीटर के बीच है. हिमाचल के कांगड़ा इलाके में अगर कोई 8 या इससे बड़े परिमाण का भूकंप आता है तो दिल्ली पर इसका सीधा असर पड़ेगा. उत्तराखंड के गढ़वाल या कुंमायूं में 8 या 9 के परिमाण का भूकंप आता है तो दिल्ली पर इसका भीषण असर दिखेगा. हाल के सालों में कांठमांडू भूकंप को दिल्ली तक महसूस किया गया था. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि हिमालय में आए किसी बहुत बड़े भूकंप से दिल्ली में होने वाले जान-माल के नुकसान से इनकार नहीं किया जा सकता है. 1803 में गढ़वाल में आए एक भीषण भूकंप से ऐसा कहा जाता है कि कुतुबमीनार की ऊपरी मंजिल को नुकसान पहुंचा था.

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यमुना पार के इलाके खतरनाक जोन में
दिल्ली में हर तरह का निर्माण कार्य है, अवैध निर्माण, सरकारी निर्माण, निजी घर और प्राइवेट बिल्डरों के बनाए घर. सबसे बड़ी समस्या ये है कि इमारतों के लिए सरकार ने बिल्डिंग कोड तो बना दिया. लेकिन इसका कोई पालन कर रहा है या नहीं ये मॉनीटर करने वाली कोई सरकारी एजेंसी नहीं है. ऐसे में बिल्डिंग कोड को कड़ाई से लागू किए जाने की जरूरत है. हाल ही में राजधानी दिल्ली का माइक्रोजोनेशन कराया गया था. इसमें पाया गया कि यमुना पार के इलाके, दिल्ली यूनिवर्सिटी के पास के इलाके भूकंप के लिहाज से सबसे ज्यादा नुकसान उठाएंगे. वजह ये है कि इन इलाकों में भूकंप आने की स्थिति में जमीन से पानी निकलने लगेगा और इमारतें उसमें धंस जाएंगी.

रायसीना हिल्स सबसे सुरक्षित इलाका
अगर दिल्ली रिज और रायसीना हिल्स की बात करें तो माइक्रोजोनेशन के लिहाज से ये दिल्ली के सबसे सुरक्षित इलाके हैं. लेकिन माइक्रोजोनिंग मैप को और बारीकी से बनाए जाने की जरूरत है. भूकंप से निपटने के सभी साधनों को जल्द से जल्द जुटाने की जरूरत है, क्योंकि बहुत बड़ा भूकंप हिमाचय में कभी भी आ सकता है.

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