
गाजीपुर लैंडफिल साइट ढहने के बाद ईस्ट एमसीडी का कूड़ा रानीखेड़ा भेजा जाना तय हुआ था, लेकिन गांववालों ने विरोध जता कर कूड़े को वहां फेंकने से मना कर दिया. जिसके बाद अब पूर्वी दिल्ली में कूड़े का ढेर लगने जा रहा है. हालात ये हैं कि कूड़ा भरे ट्रक पूर्वी दिल्ली में जहां-तहां खड़े हैं, जिससे महामारी का खतरा बढ़ गया है.
पूर्वी दिल्ली में एक नया कूड़ा संकट खड़ा हो गया है, लेकिन इस बार इसके पीछे सफाई कर्मियों की हड़ताल नहीं बल्कि यहां से 50 किलोमीटर दूर रानीखेड़ा गांव के लोग हैं. गाजीपुर हादसे के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल ने गाजीपुर लैंडफिल साइट को बंद कर पूर्वी दिल्ली के कूड़े को आउटर दिल्ली के रानीखेड़ा इलाके में फेंकने का निर्देश दिया था, लेकिन जब ईस्ट एमसीडी के ट्रक रानीखेड़ा पहुंचे तो गांव वालों ने उनके टायरों की हवा निकाल दी और उनके गांव में कूड़ा फेंकने का विरोध किया.
विरोध को देखते हुए ईस्ट एमसीडी ने सोमवार को अपने ट्रक रानीखेड़ा नहीं भेजे. अब ट्रकों को रानीखेड़ा नहीं भेजा तो ट्रक जाते कहां. लिहाज़ा कूड़े से भरे ट्रक गाजीपुर के बाहर लाइन लगा कर खड़े रहे. इन ट्रकों के कूड़े के साथ यूं खड़े रहने से पूर्वी दिल्ली में महामारी का खतरा बढ़ गया है. क्योंकि ट्रकों में पड़ा ये कूड़ा धीरे धीरे सड़ भी रहा है. पूर्वी दिल्ली की मेयर नीमा भगत का कहना है कि उनके पास रविवार रात दिल्ली पुलिस से फोन आया था कि रानीखेड़ा ट्रक भेजने में खतरा है, क्योंकि ग्रामीणों के विरोध के कारण वहां माहौल ठीक नहीं है. इसीलिए हमने ट्रक नहीं भेजे और अब ये ट्रक कूड़े के साथ खड़े हैं जिससे महामारी फैलने की आशंका है.
ईस्ट एमसीडी अब रानीखेड़ा में कूड़ा फेंकने के लिए पुलिस की मदद मांग रही है. लेकिन इतना जरूर साफ है कि ट्रकों में सड़ रहे कूड़े को यदि जल्द ठिकाने नहीं लगाया गया तो पूर्वी दिल्ली में रहने वालों की सेहत पर बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा. वहीं, दूसरी तरफ मेयर के मुताबिक, एक्सपर्ट कमेटी ने भी घोंडा गुर्जान में प्रस्तावित लैंडफिल साइट को मंजूरी देने से मना कर दिया है जिससे अब ईस्ट एमसीडी को लैंडफिल साइट के लिए पूर्वी दिल्ली में ही नयी जगह देखना होगी. मेयर के मुताबिक यमुना नदी से नज़दीकी और ज़मीन पर हरियाली को देखते हुए प्रस्तावित लैंडऑफिल साइट के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी गई है.