
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के शपथ ग्रहण के बाद से ही सबको इस बात का इंतजार था कि यूपी की नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक कब होती है. इसकी वजह भी थी. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान ये वायदा किया था कि यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद कैबिनेट की पहली बैठक में ही छोटे किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा.
अब जबकि सरकार ने कैबिनेट की बैठक में किसानों की कर्जमाफी का ऐलान कर दिया है तो एक तरह से पीएम मोदी का वायदा पूरा हो गया है. विपक्ष आरोप लगा रहा है कि पीएम ने जब वायदा किया था तो किसी सीमा का जिक्र नहीं किया था लेकिन सरकार ने महज एक लाख रुपये तक के कर्ज माफ किए हैं जबकि सरकार का कहना है कि कर्जमाफी की परिधि में तकरीबन 92.5 फीसदी किसान आ गए हैं और इससे सरकारी खजाने पर कुल मिलाकर 36 हजार करोड़ रुपये का भार पड़ने वाला है.
किसानों के कर्जमाफी का अर्थशास्त्र क्या होगा इसे नीचे दिए गए बिंदुओं से समझा जा सकता है...
1- मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के मुताबिक यूपी के 92.5 फीसदी यानी 2 करोड़ 15 लाख लघु और सीमांत किसानों का कर्ज माफ. हालांकि सरकारी प्रेसनोट में ये संख्या तकरीबन 86 लाख बताई गई है.
2- इन किसानों का कुल 30 हजार 729 करोड़ का कर्ज माफ.
3- इन किसानों पर है अधिकतम एक लाख रुपये तक का कर्ज.
4- 7 लाख किसानों का लोन जो एनपीए बन गया है वो भी माफ किया गया है.
5- इन 7 लाख किसानों पर तकरीबन 5630 करोड़ रुपये का एनपीए था जो माफ किया गया है.
6- सरकार ने कुल मिलाकर 36 हजार 359 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया है.
7- FRVM के मुताबिक डेबिट 3% से ऊपर नहीं जा सकते इसलिए सरकार बॉन्ड का रास्ता अपनाएगी जिसे किसान राहत बॉन्ड कहा जाएगा.
8- बीजेपी के संकल्प पत्र में छोटे किसानों के फसली ऋण माफ करने का वायदा किया गया था जिसे पूरा कर दिया गया है.