
आदिवासी बच्चों की बीच में ही पढ़ाई छोड़ने की घटना पर रोक लगाने के लिए कोरापुट जिले के कई में उडि़या अनुवाद के साथ आदिवासी भाषाओं में लिखी गई कहानियों की सात पुस्तकें निकाली लगाई गई हैं.
अधिकारियों ने बताया कि जिले के पोतांगी ब्लॉक के कुछ विद्यालयों में कुवि, गदबा और परजा भाषाओं की पुस्तकों को उडि़या अनुवाद के साथ लाने का लक्ष्य आदिवासी बच्चों के बीच में ही पढ़ाई छोड़ने की दर में कमी लाना और प्रारंभिक स्तर पर एक से अधिक भाषाओं को बढ़ावा देना है.
दिल्ली के संगठन एनईजी-फायर के साथ मिलकर इन पुस्तकों को तैयार करने वाले स्वैच्छिक संगठन एसओवीए के सचिव संजीत पटनायक ने कहा, ज्यादातर आदिवासी बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के दौरान उडि़या भाषा समझने मैं दिक्कत आती है. इसके चलते वह स्कूल छोड़ देते हैं.
पुस्तकों में उडि़या भाषा के अनुवाद के साथ आदिवासी लोक कथाओं को चित्रों के साथ पेश किया गया है ताकि अध्यापक आसानी से बच्चों के साथ संवाद कर सकें.
इनपुट: भाषा