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EVM हैकिंग: CPM-NCP भी चुनौती से हटे, EC ने कहा- सिर्फ समझ रहे हैं तकनीक

दोनों पार्टियों को चार-चार ईवीएम दी गईं जो दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड से लाई गईं, जहां उन्हें हाल में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान लगाया गया था.

EC का ईवीएम चैलेंज EC का ईवीएम चैलेंज
कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2017,
  • अपडेटेड 3:27 PM IST

चुनाव आयोग ने शनिवार को ईवीएम को हैक करने की चुनौती का आयोजन किया जो मशीन में विभिन्न सुरक्षा जांचों के विस्तृत प्रदर्शन के साथ शुरू हुआ. चार घंटे की चुनौती सुबह 10 बजे शुरू हुई और एनसीपी और सीपीएम ने ही इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. सीपीएम के प्रतिनिधिमंडल ने मशीन में लगे विभिन्न सुरक्षा जांचों पर दिए गए प्रदर्शन को देखा जबकि एनसीपी की टीम ने आयोग की तकनीकी समिति के विशेषज्ञों से बातचीत की.

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दोनों पार्टियों को चार-चार ईवीएम दी गईं जो दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड से लाई गईं, जहां उन्हें हाल में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान लगाया गया था. कई प्रमुख विपक्षी पार्टियों द्वारा दावा किया गया था कि ईवीएम में छेड़छाड़ के कारण लोगों का इनमें से विश्वास उठ चुका है जिसके बाद इस चुनौती का आयोजन किया गया. हालांकि आयोग इस बात अडिग रहा कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. बसपा और आप ने आरोप लगाया था कि हाल के विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल की गईं मशीनों के साथ छेड़छाड़ की गई थी जिसके बाद मशीनों ने भाजपा के पक्ष में परिणाम दिए. बाद में, कई अन्य पार्टियां इसमें शामिल हो गई और उन्होंने मांग की कि आयोग फिर से मतपत्रों से मतदान कराए.

हालांकि चुनाव आयोग के मुताबिक ईवीएम चैलेंज में भाग लेने वाले दोनों ही दल केवल ईवीएम के तकनीकी पहलुओं को समझने की कोशिश कर रहे हैं, किसी तरह की छेड़छाड़ या चुनौती देने के इच्छुक नहीं दिख रहे. आयोग ने सभी 7 राष्ट्रीय और 48 राज्यस्तरीय पार्टियों को ईवीएम में छेड़छाड़ करके दिखाने के चुनौती दी थी, जिसे सिर्फ 2 पार्टियों ने स्वीकार किया था.

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AAP ने किया किनारा
ईवीएम पर इतना हल्ला मचने के बाद भी इस चैलेंज में सिर्फ दो राष्ट्रीय पार्टियां हिस्सा लेंगी. जिसमें नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआईएम) शामिल हैं. सबसे ज्यादा हल्ला मचाने वाली आम आदमी पार्टी (आप) ने इस हैकाथन से किनारा कर लिया है. आप का कहना है कि चुनाव आयोग सबकुछ अपने मुताबिक कर रहा है. दरअसल आप चाहती थी कि चुनाव आयोग उसको मदर बोर्ड से छेड़छाड़ की इजाजत दे जबकि चुनाव आयोग ने मदर बोर्ड को खोलने की इजाजत देने से साफ इंकार कर दिया था.

चैलेंज को हाई कोर्ट से अनुमति
नैनीताल हाई कोर्ट ने चैलेंज को मंजूरी दे दी थी. चुनाव आयोग से कहा कि आयोग अपने विवेक से आयोजन करे. आयोग ने ईवीएम चुनौती के आयोजन को रोकने की याचिका खारिज कर दी. नैनीताल हाई कोर्ट के जज राजीव शर्मा और शरद शर्मा के खंडपीठ ने अपने 17 पेज के आदेश के पांचवें पन्ने में साफ लिखा है कि चुनाव आयोग की ईवीएम सुरक्षित है. देश में ही इनकी चिप बनती है और वन टाइम प्रिंटबल है. माइक्रो नंबर सिस्टम के साथ कई ऐसे सिस्टम इनमें लगे हैं कि ये अभेद्य हो जाती है. यहां तक कि इन्हें ट्रांसपोर्टेशन या स्ट्रॉग रूम में स्टोरेद के दौरान भी हैक या छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता.

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अपने 17 पेजी आदेश के आखिरी पन्ने पर कोर्ट ने लिखा है कि कोर्ट का दायित्व और ज़िम्मेदारी है कि संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा बनाये रखने में मदद करे. अभिव्यक्ति की आज़ादी होने का मतलब ये कतई नहीं है कि संवैधानिक संस्थाओं पर बेवजह छींटाकशी करें. उनकी गरिमा से खिलवाड़ करें. लिहाज़ा किसी भी राजनीतिक पार्टी, संगठन या फिर व्यक्ति को चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से बचना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि आयोग जैसे चाहे अपना ये आयोजन करे.

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