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मोदी के भाषण से जुड़ा चुनाव आयुक्त लवासा का 'असहमति नोट' नहीं होगा सार्वजनिक

पुणे के आरटीआई एक्टिविस्ट विहार धुर्वे ने चुनाव आयोग से अशोक लवासा के असहमित नोट की मांग की थी. चुनाव आयोग ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया है. बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी के कई भाषणों पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगा था.

चुनाव आयुक्त अशोक लवासा (फाइल फोटो) चुनाव आयुक्त अशोक लवासा (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2019,
  • अपडेटेड 11:44 PM IST

चुनाव आयोग ने अपने आयुक्त अशोक लवासा के असहमति नोट (Dissent note) को सार्वजनिक करने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया है. आयोग ने सूचना के अधिकार कानून के तहत मांगी गई इस जानकारी को देने से मना कर दिया है. चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के ये असहमति नोट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी भाषणों से जुड़े हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी के कुछ भाषणों पर कथित तौर पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगा था. चुनाव आयोग ने कहा कि उसे ऐसी कोई भी सूचना न देने की छूट मिली है जिससे किसी व्यक्ति के जान या शारीरिक सुरक्षा पर खतरा पैदा हो सकता है.

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पुणे के आरटीआई एक्टिविस्ट विहार धुर्वे ने चुनाव आयोग से अशोक लवासा के असहमित नोट की मांग की थी. चुनाव आयोग ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया है. बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी के कई भाषणों पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगा था. पीएम मोदी ने ये भाषण 1 अप्रैल को वर्धा में, 9 अप्रैल को लातूर में, 21 अप्रैल को पाटन और बाड़मेर में और 25 अप्रैल को वाराणसी में दिए थे.

पीएम मोदी पर लगे आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों पर हालांकि चुनाव आयोग ने क्लीन चिट दी थी, लेकिन इन फैसलों पर चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने असहमति जताई थी. तीन सदस्यों वाले चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी सुनील अरोड़ा के पास है जबकि दो अन्य आयुक्त अशोक लवासा व सुशील चंद्र हैं.

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चुनाव आयोग ने आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(g) का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी सूचनाओं को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है जिससे किसी व्यक्ति की जान या शारीरिक सुरक्षा खतरे में पड़ जाए,  या फिर सूचना के स्रोत की पहचान हो या फिर कानून-प्रवर्तन या सुरक्षा उद्देश्यों के लिए दी गई सहायता खतरे में पड़ जाए.

धुर्वे ने चुनाव आयोग द्वारा पीएम को क्लीन चिट दिए जाने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया और आयोग द्वारा दिए गए फैसलों की जानकारी भी मांगी थी. चुनाव आयोग ने इन सूचनाओं को भी देने से इनकार कर दिया था. माना जाता है कि पीएम मोदी और अमित शाह को बार-बार क्लीन चिट दिए जाने पर अशोक लवासा ने आपत्ति जताई थी. चुनाव आयोग ने जब अशोक लवासा के असहमति नोट को अपने आदेश में शामिल नहीं किया तो आचार संहिता उल्लंघन के मामलों से अशोक लवासा ने खुद को अलग कर लिया था. इसके बाद चुनाव आयोग ने कहा था कि असहमति नोट और अल्पमत विचार रिकॉर्ड का हिस्सा तो रहेंगे, लेकिन इन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.

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