10वीं क्लास में उसने पढ़ाई छोड़ दी और फिर करोड़पति बन गया. तरक्की का नशा
उसे एक कदम आगे ले गया. वह दलाली करने लगा. इसके बाद उसके पतन की शुरुआत
हुई. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बीते शनिवार को उसकी सारी संपत्ति जब्त कर
दी.
हम बात कर रहे हैं संत स्वामी इच्छाधारी भीमानंद की जिसने अपने कारनामों को छुपाने के लिए अपना नाम शिव मूरत द्विवेदी से बदलकर
संत स्वामी इच्छाधारी भीमानंद रख लिया.
अपने आप को संत बताने वाला यह व्यक्ति पांच साल पहले वेश्या की दलाली करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जन्म के बाद उसका नाम शिव मूरत द्विवेदी था. वह सन् 1988 में चित्रकूट से दिल्ली आया और दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में बाउंसर का काम करने लगा. वह 1997 में और 1998 में महाराष्ट्र में अपराध करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. 2010 में गैरकानूनी व्यापार करने के मामले में भी इसका नाम दर्ज था.
अपने आप को संत बताने वाले इस स्वामी की संपत्ति प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2015 में जब्त कर ली. दिल्ली के खानपुर इलाके में उसका मकान मन्दिर के रूप में बदल गया, 13 बैंक खातों में उसके 90 लाख रुपये, तीन कार हैं. चित्रकूट में बना तीन मंजिल मन्दिर धार्मिक कारणों की वजह से जब्त नहीं किया गया. यहां अनेक एमपी और एमएलए दर्शन के लिए आते हैं.
शुरुआत में बदरपुर मंदिर में बैठकर उसने बहुत पैसा कमा कर अपना साईं मंदिर बनाया. वह अपने अध्यापन की सीडी भी रिलीज करता था. वेश्यावृत्ति से होने वाली कमाई से ही वह लक्जरी कारों, मोबाइल और ज्वैलरी का खर्च उठाता था. द्विवेदी के पास कोलकाता, कानपुर, अमृतसर, चंडीगढ़, चेन्नई आदि में वेश्याओं के दलाल, वेश्याओं और ग्राहकों का बड़ा समूह था. फोन रिकॉर्ड की कॉलिंग लिस्ट में फाइव स्टार होटल के नंबर थे. उनके मोबाइल का एक साल का बिल 5.21 लाख था.