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आखि‍र इस उंगली में ही क्यों पहनी जाती है सगाई की अंगूठी?

क्या आपने कभी ये सोचा है कि सगाई की अंगूठी हाथ की तीसरी उंगली (अनामिका) में ही क्यों पहनी जाती है? फिल्मों में दिखाया जाता है कि तीसरी उंगली सीधे दिल तक पहुंचती है इसलिए अंगूठी उसी में पहनते और पहनाते हैं. पर क्या वाकई यही एक कारण है?

सगाई की अंगूठी सगाई की अंगूठी
भूमिका राय
  • नई दिल्ली,
  • 18 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 3:06 PM IST

सगाई की अंगूठी को प्यार की निशानी के तौर पर देखा जाता है. एक ऐसा वादा जो दो लोग एक-दूसरे से करते हैं. एक बंधन जिसे वो उम्रभर निभाने की कसम के साथ अपनाते हैं. पर क्या आपने कभी ये सोचा है कि सगाई की अंगूठी हाथ की तीसरी उंगली (अनामिका) में ही क्यों पहनी जाती है? फिल्मों में दिखाया जाता है कि तीसरी उंगली सीधे दिल तक पहुंचती है इसलिए अंगूठी उसी में पहनते और पहनाते हैं. पर क्या वाकई यही एक कारण है? या फिर इसके पीछे कुछ और ही वजहें हैं.

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रोम की मान्यता के अनुसार:
हाथ की तीसरी उंगली में अंगूठी पहनाए जाने के पीछे रोम की एक मान्यता है. मान्यता काफी पुरानी है. रोम में ऐसा माना जाता है कि अनामिका से होकर एक नस सीधे दिल से जुड़ती है. इसी वजह से अंगूठी पहनने और पहनाने के लिए यही उंगली बेस्ट है. ये सबसे पुरानी और लोकप्रिय मान्यता है.

चीन की मान्यता के अनुसार
चीन में मान्यता है कि हमारे हाथ की हर उंगली एक संबंध को दर्शाती है और हाथ तीसरी उंगली यानी अनामिका पार्टनर के लिए होती है. इसी क्रम में अंगूठा माता-पिता के लिए, तर्जनी भाई-बहनों के लिए, मध्यमा खुद के लिए और कनिष्ठा बच्चों के लिए होती है.

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