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सुप्रीम कोर्ट में एरिक्सन की याचिका, अनिल अंबानी को देश छोड़ कर न जाने दें

अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम ने स्वीडन की कंपनी एरिक्सन को बकाया राशि में से 550 करोड़ रुपये 30 सितंबर तक चुकाने का वादा किया था.

अनिल अंबानी (फाइल फोटो) अनिल अंबानी (फाइल फोटो)
विवेक पाठक/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 11:57 PM IST

स्वीडन की टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली कंपनी एरिक्सन ने अनिल अंबानी की आरकॉम के खिलाफ भारत के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अनिल अंबानी और कंपनी के दो अन्य निदेशकों को बिना इजाजत विदेश जाने से रोके जाने की मांग की है. मामले की सुनवाई गुरुवार को होगी.

दरअसल अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) पर एरिक्सन कंपनी का 1100 करो़ड़ रुपये बकाया है. जिसे लेकर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने 30 सितंबर तक रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को 550 करोड़ एरिक्सन को देने को कहा था. लेकिन NCLT के आदेश के बावजूद रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) तय राशि एरिक्सन को देने में नाकाम रही. लिहाजा एरिक्सन ने कोर्ट से यह भी मांग की है उनके ऊपर न्यायालय की अवमानना का मामला भी चलाया जाए.

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एरिक्सन की याचिका में कहा गया है कि आरकॉम देश के कानून का आदर नहीं कर रही और दिए आदेश को हल्के में लेती है, लिहाजा कोर्ट के ऑर्डर के बिना इनके देश के बाहर जाने पर रोक लगनी चाहिए. 

वहीं इस मामले में रिलांयस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) ने बुधवार को कहा कि उसे दूरसंचार न्यायाधिकरण से राहत मिली है और वह अब अपनी योजनाबद्ध स्पेक्ट्रम बिक्री प्रक्रिया को पूरी कर सकती है. बिक्री से प्राप्त धन का उपयोग एरिक्सन इंडिया को बकाए का भुगतान करने में किया जाएगा.

गौरतलब है कि एरिक्सन ने आरकॉम के टेलिकॉम नेटवर्क के भारत में संचालन और प्रबंधन के लिए 2014 में सात साल का करार किया था. इस दौरान आरकॉम पर एरिक्सन का 1100 करोड़ का बकाया हो गया.

इससे पहले सुनवाई में आरकॉम ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि दिवालिया घोषित होने की सूरत में वो संपत्ति का निपटारा नहीं कर पाएंगे. इसपर एरिक्सन ने भी कहा था कि उसका बकाया मिलने तक आरकॉम को दिवालिया घोषित करने की कार्रवाई शुरू न की जाए.

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