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दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने स्नातक परीक्षाओं के मूल्यांकन के बहिष्कार को रोकने का फैसला किया है. यह बहिष्कार अकादमिक प्रदर्शन तय करने वाली यूजीसी की नई शर्तों के विरोध में किया जा रहा था.
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने कहा कि मंत्रालय और यूजीसी अधिकारियों ने इनकी मांगें पूरी करने के लिए एक समिति के गठन पर सहमति जताई है. इसके बाद यह फैसला लिया गया है. हालांकि बहिष्कार वापस लिए जाने के बारे में औपचारिक घोषणा तब की जाएगी, जब शिक्षक संघ की जनरल बॉडी मीटिंग में इसे मंजूर कर लिया जाएगा. डूटा की अध्यक्ष नंदिता नारायण ने कहा, बातचीत शुरू हो गई है और प्रशासन हमारी लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करने की दिशा में एक समिति का गठन करने की हमारी न्यूनतम मांग मानने के लिए तैयार हो गया है.
उन्होंने कहा, हमारी समस्याओं के अंतिम समाधान से जुड़ी बातचीत के लिए फलदायी माहौल बनाने के लिए और लंबित मामलों का समाधान सुनिश्चित करने के लिए एक दीर्घकालिक आंदोलन जारी रखने के लिए डूटा कार्यकारी मूल्यांकनों और कर्मचारी परिषद समितियों के बहिष्कार की बात वापस लेती है.
यूजीसी के नियमों में संशोधनों के खिलाफ शिक्षक 24 मई से स्नातक परीक्षाओं के मूल्यांकन का विरोध कर रहे हैं. इनका कहना है कि इन संशोधनों के कारण नौकरियों में 50 फीसदी की कटौती होगी और उच्च शिक्षा में छात्र-शिक्षक अनुपात में भारी गिरावट आएगी. जिस समय प्रदर्शन शुरू हुआ था, तब डूटा ने स्नातक कोर्स के सभी वर्षों की परीक्षाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार किया था और बाद में इस बहिष्कार को प्रवेश प्रक्रिया तक विस्तार दे दिया गया था. शिक्षकों ने 16 जून को अंतिम वर्ष के छात्रों के मूल्यांकन के बहिष्कार को हटा दिया था और पांच जुलाई तक प्रवेश प्रक्रिया से वापस जुड़ने का फैसला किया था. नई गजट अधिसूचना ने सहायक प्रोफेसरों के लिए काम का बोझ बढ़ा दिया है. यह प्रति सप्ताह 16 घंटे के प्रत्यक्ष शिक्षण (ट्यूटोरियल समेत) को बढ़ाकर 18 घंटे (छह घंटे के ट्यूटोरियल अलग) कर दिया गया है.
इस तरह यह कुल मिलाकर 24 घंटे हो गया है. इसी तरह एसोसिएट प्रोफेसरों के कामकाज के घंटे 14 से बढ़ाकर 22 कर दिए गए हैं. शिक्षकों ने तर्क दिया कि काम के बोझ से जुड़ी शर्तों में बदलाव से शिक्षण के पदों में व्यापक कमी हो गयी होती. वह संशोधन वापस ले लिया गया है. हालांकि नारायण ने कहा कि वे शिक्षकों की पदोन्नति से जुड़ी एपीआई (अकादमिक प्रदर्शन संकेतक) प्रणाली के खिलाफ लड़ाई तब तक जारी रखेंगे, जब तक इसे पूरी तरह वापस नहीं ले लिया जाता. नारायण ने कहा, हमने नए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर समय मांगा है. हम नियुक्तियों के लिए एक पर्याप्त रोस्टर प्रणाली भी चाहते हैं.
हम चाहते हैं कि आठ साल से लगभग सभी पदोन्नतियों को रोककर रखने वाली डीयू की पूर्वप्रभावी पदोन्नति नीति पर गौर करने के लिए एक समिति भी बनाई जाए.