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EVM को फुटबॉल बना दिया गया है, आलोचना का आधार तो हो: CEC

सुनील अरोड़ा ने कहा कि सभी दलों की शंका का समाधान करने केलिए एक बार चुनाव आयोग ने EVM चैलेंज कराया था. अगर जरूरत पड़ी तो लोकसभा से पहले भी करा देंगे.

सुनील अरोड़ा, मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, मुख्य चुनाव आयुक्त
विवेक पाठक
  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:40 PM IST

हिंदी जगत का महामंच 'एजेंडा आजतक' के दूसरे दिन 'चुनाव का चैलेंज' शीर्षक वाले सत्र में शामिल हुए देश के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि राजनीतिक हार जीत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को फुटबॉल बना दिया गया है. सवाल उठाना सबका अधिकार है लेकिन आलोचना का आधार तो होना चाहिए.

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कौन सा राजनीतिक दल जीतता है और हारता है यह आप (जनता) लोग तय करते हैं. चुनाव आयोग की इसमें कोई भूमिका नहीं होता. उन्होंने पूछा कि क्या हमने एक मशीन को फुटबॉल बना दिया है? प्रजातंत्र में सवाल उठाना सबका अधिकार है लेकिन इसके पीछे आधार तो होना चाहिए.

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सुनील अरोड़ा ने कहा कि चुनाव आयोग की स्थापना साल 1950 में संविधान के दायरे में एक स्वायत्त संस्था के तौर पर हुई थी, जिसकी विश्वसनीयता है. बहुत क्षोभ होता है जब लोग आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं. चुनाव आयोग एक व्यक्ति से कहीं ज्यादा बड़ा है.

पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर 176000 पोलिंग बूथ थें जहां चुनाव हुए. जिसमें मात्र पांच जगहों पर शिकायतें आईं जिसमें चुनावी प्रक्रिया में कोई गलती नहीं थी, महज अधिकारियों की लापरवाही थी जिसके लिए उन्हें दंडित किया गया.

सुनील अरोड़ा ने कहा कि छेड़छाड़ और खराबी में अंतर है. आप एक गाड़ी लेकर आइए उसमें अगले ही दिन खराबी हो सकती है, लेकिन कोई जरूरी नहीं कि उससे छेड़छाड़ की गई है. उन्होंने कहा कि 2006 में EVM के लिए टेक्निकल कमेटी बनी थी, वर्तमान टेक्निकल कमेटी 2010 से है. इस कमेटी में आईआईटी के प्रोफेसर हैं जो EVM बनाने वाली कंपनी BEL और ECIL में हर स्तर पर निगरानी करते हैं. इसलिए मैं कह सकता मैं आजतक के जरिए लोगों के आंख में देखते हुए कह सकता हूं कि EVM एक ऐसी मशीन है जिससे कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती.

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