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वायु सेना के पूर्व सार्जेंट एक पांव से घूमना चाहते हैं सारी दुनिया

1979 में ड्यूटी ज्वाइन करने जाते वक्त एक खतरनाक रोड एक्सिडेंट में एक टांग गवां बैठे. अब रघबीर सिंह के पास तीन SUV हैं. वह अब पूरी दुनिया घूमना चाहते हैं वह भी अपनी एक टांग के सहारे खुद कार चलाते हुए.

रघबीर सिंह रघबीर सिंह
पंकज खेळकर
  • पुणे,
  • 20 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 8:20 PM IST

उम्र 62 साल, भारतीय वायु सेना में सार्जेंट रह चुके रघबीर सिंह इन दिनों पुणे के आर्टिफिशल लिंब सेंटर आए हुए हैं एडवांस लिंब लगवाने. रघबीर सिंह 1975 में कोलकाता के टालीगंज स्थित रिक्रूटमेंट सेंटर से भारतीय वायु सेना में भर्ती हुए थे. इनके पिता भी भारतीय वायु सेना में रह चुके हैं. रघबीर ने भी पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए वायु सेना में एंट्री की. सबकुछ ठीक चल रहा था कि 1979 में ड्यूटी ज्वाइन करने जाते वक्त एक खतरनाक रोड एक्सिडेंट में एक टांग गवां बैठे.

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एक्सिडेंट के बाद रघबीर ने 16 साल ड्यूटी की, लेकिन हर वक्त उन्हें एक बात सताती थी कि वह कभी कार चला नहीं चला पाएंगे. मन में हर वक्त यह विचार सताता रहता था कि वह दुसरों पर बोझ न बन जाएं.

धीरे-धीरे उन्होंने कार चलाने की प्रैक्टिस शुरू की और 1985 से एक टांग से ही कार चलाना शुरू किया. हालांकि वह थोड़ी दूरी की यात्रा ही करते रहे. वायु सेना से रिटायर होने के बाद रघबीर ने अपना बिजनेस शुरू किया और नोएडा, दिल्ली, गुड़गांव और हरियाणा के अंबाला में अच्छा खासा कारोबार स्थापित कर लिया. अब रघबीर सिंह के पास तीन SUV हैं और हर गाड़ी के लिए ड्राइवर भी.

पोते ने किया प्रेरित

हुआ यूं कि कुछ समय पहले अंबाला में अपने पुश्तैनी गांव से रघबीर को पुणे आना था. उनका पोता विश्वजीत सिंह उन्हें बोलता रहा कि दादा आप खुद गाड़ी चलाते हुए पुणे जाओ. पोते की जिद का असर था कि रघबीर ने ड्राइवर से चाबी ली और अपने दो दोस्तों को साथ खुद कार चलाते हुए पुणे की ओर चल दिए. रघबीर सिंह एक टांग से ही गाड़ी दौड़ाते रहे. उन्हें प्रेरणा देने वाले उनके पोते का हंसता हुआ चेहरा हर वक्त उनकी आंखों के सामने था. मंजिल कठिन थी, लेकिन दृढ़ निश्चय कर चुके रघबीर एक टांग से अपनी SUV चलाते रहे.

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33 घंटे 20 मिनट में पूरा किया 1740 किमी का सफर

अंबाला और पुणे का फासला कोई मामूली अंतर नहीं है. पूरे 1740 किलोमीटर यानी 48 घंटों का सफर. अंबाला से पुणे के बीच इस 1740 किलोमीटर में लंबे सफर में रघबीर ने सिर्फ पांच बार गाड़ी रोकी, वह भी सिर्फ चेहरा धुलने और थोड़ा आराम करने. अंततः इतना लंबा फासला रघबीर ने 33 घंटे 20 मिनट में तय सफलतापूर्वक तय कर लिया.

आज रघबीर पुणे में दूसरी बार आकर कुछ ज्यादा ही खुश हैं, क्योंकि इस बार यहां उन्हें एडवांस लेवल की हाईटेक टांग मिलेगी. लेकिन इस एक सफर ने रघबीर को इतना प्रेरित किया और उन्हें कुछ ऐसे दोस्त मिले जिनके साथ वह अब पूरी दुनिया घूमना चाहते हैं वह भी अपनी एक टांग के सहारे खुद कार चलाते हुए.

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