
हाईवे की सुरक्षा को लेकर सेना और सीआरपीएफ के बीच झगड़ा बीते 5 महीनों में 15 मौतों की वजह बन गया है. 25 जून को हुए पंपोर आतंकी हमले में 8 जवानों के शहीद होने के बाद सीआरपीएफ ने कहा है कि हाईवे की सुरक्षा सेना का काम है. दूसरी तरफ सेना ने कहा है कि सड़क सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ का है.
बीते तीन दशकों से आतंकवाद से लड़ रहे देश की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है. बीते पांच महीनों में सीआरपीएफ और बीएसएफ काफिलों पर तीन बड़े हमले किए गए हैं. इससे अब तक 15 जानें जा चुकी हैं. आतंकवादियों ने सीआरपीएफ की बसों को दो बार निशाना बनाया है. पहली बार 22 फरवरी जिसमें 2 जवान शहीद हुए थे.
बीती 3 जून को भी बीएसएफ के काफिले पर हमले में 3 जवान शहीद हो गए थे. सीआरपीएफ सूत्रों ने इसके लिए सेना को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि सेना ने हाईवे पर 'रोड ओपनिंग पार्टीज' तैनात नहीं की है. इसकी वजह से पंपोर में दो बार सीआरपीएफ काफिलों को आतंकी हमले का शिकार होना पड़ा है.
वहीं दूसरी तरफ सेना का कहना है कि 'रोड ओपनिंग एंड हाईवे प्रोटेक्शन' सीआरपीएफ की जिम्मेदारी है. साल 2010 में तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने जम्मू से श्रीनगर के बीच नेशनल हाईवे 1 ए की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ को दी थी. हालांकि आधिकारिक तौर पर सीआरपीएफ और सेना दोनों की ही तरफ से कोई बयान नहीं मिला है. लेकिन अनाधिकारिक तौर पर दोनों ने एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है.