
चीन के राजदूत लुओ झाहाई ने पिछले सप्ताह चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का नाम बदलने और जम्मू-कश्मीर से होकर एक वैकल्पिक गलियारे का निर्माण करने की पेशकश कर बहुत सुर्खियां बटोरी थीं. लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि लुओ के दोनों प्रस्तावों के पीछे बीजिंग की मंशा थी या नहीं.
जब 'इंडिया टुडे' ने पूछा कि क्या राजदूत के प्रस्तावों को आधिकारिक मंजूरी हासिल है तो चीन के विदेश मंत्रालय ने लुओ के उपरोक्त दोनों प्रस्तावों का समर्थन करने से मना कर दिया.
बीजिंग स्थित विदेश मंत्रालय ने इस बात से भी इनकार कर दिया कि वे सीपीईसी का नाम बदलेंगें. आपको बता दें कि भारत ने इस कॉरिडोर का विरोध किया था क्योंकि यह पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजर रही है.
लुओ ने शुक्रवार को दिल्ली में कहा था, "सीपीईसी का नाम बदला जा सकता है और भारत की चिंता के मुताबिक जम्मू-कश्मीर, नाथू ला पास या नेपाल से होकर एक वैकल्पिक कॉरीडोर का निर्माण किया जा सकता है." लेकिन बीजिंग का बयान ठीक इसके उलट है और सीपीईसी का बचाव करता है. उसके मुताबिक, "इसका चीन की स्थिति पर असर नहीं पड़ता है."
चीनी सरकार द्वारा गलियारे का नाम बदलने की आवश्यकता महसूस करने की सलाह देने पर बीजिंग का विचार था, "संप्रभुता विवादों के साथ कुछ नहीं करना" है.
बीजिंग ने स्थिति स्पष्ट करते हुए आगे कहा, "चीन कनेक्टिविटी मजबूत करने और क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए सभी पड़ोसी देशों के साथ काम करने के लिए तैयार है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर चीन और पाकिस्तान द्वारा बनाया गया एक सहकारी ढांचा है, जो सभी क्षेत्रों में सहयोग को ध्यान में रखते हुए और दोनों देशों के दीर्घकालिक विकास के लिए है.
बता दें कि यह ना केवल चीन और पाकिस्तान के हित के अनुसार है, बल्कि क्षेत्र की स्थिरता और विकास के लिए भी अनुकूल है. सीपीईईसी आर्थिक सहयोग की एक पहल है और उसका संप्रभुता विवादों के साथ कोई भी वास्ता नहीं है. यह कश्मीर मुद्दे पर चीन और पाकिस्तान की स्थिति को प्रभावित नहीं करता है."