
कर्नाटक में कॉल सेंटर स्थापित करना कोई नई बात नहीं है, लेकिन अगर कोई ये कहे कि एक राजनीतिक दल ने राज्य में कॉल सेंटर स्थापित किया है, ताकि चुनाव के दौरान जमीन पर स्थिति का पता चल सके, तो यह निश्चित रूप से सोचने पर मजबूर करता है.
दरअसल, कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान 65,000 बूथों पर स्थिति की निगरानी के लिए दो कॉल सेंटर स्थापित किए हैं. कांग्रेस ने ये दो कॉल सेंटर बैंगलोर और मैसूर में स्थापित किए हैं, ताकि बूथ स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओं से 24 घंटे संपर्क में रहा जा सके.
यह पहली बार है, जब अपने नए अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं, प्रतिनिधियों, बूथ कार्यकर्ताओं और जिला नेताओं से नियमित रूप से संपर्क में रहने के लिए कॉल सेंटर स्थापित किए हैं.
कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए कहा, 'हमने प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में बेहतर व्यवस्था के लिए इन कॉल सेंटर्स को स्थापित किया है. इसके माध्यम से हम अपने कार्यकर्ताओं के साथ सीधे तौर पर संपर्क में रहेंगे. खास तौर पर बूथ स्तर पर, सीधे और वास्तविक प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकें.'
कांग्रेस के 100 सदस्य हर कॉल सेंटर पर मौजूद रहेंगे. ये सदस्य पार्टी बूथ कार्यकर्ताओं, बूथ प्रतिनिधियों और अन्य कार्यकर्ताओं से संपर्क में रहेंगे और हर क्षेत्र की स्थिति पर नजर रखेंगे. दोनों कॉल सेंटर्स से मिलने वाली जानकारी और आंकड़ें पार्टी को अपने अभियान के साथ-साथ बूथ प्रबंधन को लेकर रणनीति बनाने में मदद करेंगे.
बेहतर प्रचार अभियान में मिलेगी मदद
प्रोफेसर राजीव गौड़ा के नेतृत्व में पार्टी के रिसर्च डिपार्टमेंट के लोग इन आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे. इसके बाद इसे पार्टी उम्मीदवारों के साथ साझा किया जायेगा, जिससे वो अपने प्रचार अभियान में बदलाव कर सकें.
साथ ही इन आंकड़ों और जानकारियों का विश्लेषण किया जाएगा, जिससे पार्टी को आगे की रणनीति बनाने में भी मदद मिलेगी. दिलचस्प बात यह है कि अगर बूथ स्तर पर कोई समस्या उत्पन्न होती है तो कॉल सेंटर अधिकारी बूथ प्रभारी, प्रतिनिधियों और कार्मचारियों को सुझाव देंगे, ताकि समस्या का निदान हो सके.
गुंडू राव ने बताया, 'कॉल सेंटर्स के माध्यम से जानकारी का दो-तरफा प्रवाह रहेगा. इससे हमें बूथ स्तर की सभी जानकारी प्राप्त होगी और हम अपने कर्मचारियों को भी अपनी बात कह सकेंगे. साथ ही अगर हमारे कर्मचारियों को कोई समस्या होगी, तो उसका भी हल निकाला जा सकेगा.
कांग्रेस ने गुजरात से सीखा
आम तौर पर, अभी तक चुनाव के दौरान बूथ व्यवस्थित करने में विफल होने के कारण कांग्रेस को आलोचना का शिकार होना पड़ा है. गुजरात विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को हुए नुकसान का एक बड़ा कारण बूथ स्तर पर अप्रभावी प्रबंधन था. गुजरात से सीखते हुए कांग्रेस ने एक मजबूत बूथ अभियान के माध्यम से, कर्नाटक विधानसभा चुनाव में लगभग 8 से 9 लाख बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं की सेना तैयार की है.