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बीजेपी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी ने उम्र के फार्मूले को खारिज कर दिया है. आडवाणी ने कहा कि सियासत में अनुभव की भी अहमियत है. 'आज तक' से खास बातचीत में आडवाणी ने कहा कि उम्र का विरोध नहीं होना चाहिए. उम्र से अनुभव आता है. आपको बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते मई में केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद ज्यादा उम्र वाले सांसदों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी. मोदी ने 70 साल से कम उम्र वाले सांसदों को ही मंत्री बनाया.
आडवाणी ने कहा, 'नौजवानों को मौका देना सही है, लेकिन उम्र को लेकर कोई शर्त नहीं रखी जानी चाहिए. हमें नहीं भूलना चाहिए कि उम्र के साथ अनुभव आता है और अनुभव का बड़ा मोल है.'
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से अपनी पहली मुलाकात को याद करते आडवाणी ने कहा, अटल जी और मेरे विचारों में फर्क नहीं है. अटल जी मुझे पार्टी में महत्व देते थे.' अटल के पीएम रहते उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की जिम्मेदारी संभालने वाले आडवाणी ने वाजपेयी को देश का सबसे सफल पीएम करार दिया. उन्होंने कहा, मुझमें अटल जी जैसी क्षमता नहीं है.
वाजपेयी को भारत रत्न दिए जाने संबंधी सवाल पर आडवाणी ने कहा कि भारत रत्न दिया जाना अटल जी का उचित सम्मान होगा. उन्होंने कहा, 'अटल जी को भारत रत्न देने के लिए मैंने भी तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखी थी.'
वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के दिनों को याद करते हुए आडवाणी ने कहा कि 2002 के गुजरात दंगों के बाद अटल बिहारी वाजपेयी चाहते थे कि नरेंद्र मोदी सीएम पद से इस्तीफा दे दें.
जिन्ना विवाद पर आडवाणी ने कहा कि लोगों ने इस मसले को बढ़ाया. उन्होंने कहा, 'मैं नरम हूं. पता नहीं कैसे लोग मुझे कट्टर कहते हैं.'