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केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अच्छे स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन के लिए विदेश चले जाते हैं वहां जाकर रिसर्च और नए एनोवेशन विदेशी कंपनियों के लिए कहते हैं, जबकि जो सुविधाएं वहां उन्हें मिलती है, वह अब देश में भी उपलब्ध है. उन्होंने बीते गुरुवार को ग्रेटर नोएडा में फिक्की द्वारा आयोजित 13वें उच्च शिक्षा सम्मेलन-2017 के दौरान वीडियो मैसेज में यह बातें कही.
जावड़ेकर ने कहा कि देश के और विदेशों के कालेजों के सिद्धांत और विज्ञान समान है बस फर्क है तो प्रौद्योगिकी का. इसको दुरुस्त करने की जिम्मेदारी भी यहां के शिक्षकों और स्टूडेंट्स के ऊपर है. सरकार इसके लिए हर तरह की मदद के लिए तैयार है. अत: छात्र मोदी सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत विदेश जैसा रिसर्च देश में ही करें.
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जावड़ेकर का यह मैसेज फिक्की द्वारा आयोजित 'एजुकेशन 4.0 : स्टूडेंट एट द कोर' विषय पर आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन मौके पर दिखाया गया. इस सम्मेलन में आईआईटी मुम्बई सहित तमाम निजी विश्वविद्यालय शामिल हुए हैं, जहां अगले तीन दिनों तक शिक्षा के बदलते स्वरूप पर चर्चा की जाएगी.
आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार जावड़ेकर ने कहा कि मोदी सरकार अगले 20 साल को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति तैयार कर रही है. इसका ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है. इस नई नीति से देश के शिक्षा क्षेत्र में एक क्रांति आएगी. उन्होंने इस मौके पर स्कूली शिक्षा को भी दुरुस्त करने जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इसी सरकार ने 10वीं की परीक्षा में फिर से बोर्ड परीक्षा की शुरूआत की है.
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इस मौके पर जावड़ेकर ने एमएचआरडी (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) और एआईसीटीई (ऑल इंडिया कौंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) द्वारा आईआईटीज और आईआईएम सहित देश के टॉप फैकल्टी द्वारा फ्री ऑनलाइन पोर्टल 'स्वयं' के बारे में जानकारी दी और कहा कि इस पोर्टल के जरिए स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम मुफ्त मुहैया कराए जा रहे हैं.
स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निग फॉर यंग एस्पाइरिंग माइंड्स (स्वयं) पोर्टल के जरिए आईआईटी, आईआईएम और इग्नू जैसे संस्थानों में एडमिशन लिए बिना अब स्टूडेंट्स इनके सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और पीजी डिप्लोमा हासिल कर सकते हैं. इंजीनियरिंग और नॉन-इंजीनियरिंग के इस पोर्टल पर अभी तक 200 कोर्सेस अपलोड कर दिए गए हैं. आईसेक्ट यूनिवर्सिटी के भी कुछ ऑनलाइन कोर्सेस को स्वयं पोर्टल पर लिया जाएगा.
इस मौके पर केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु का भी एक ऑडियो संदेश चलाया गया। सुरेश प्रभु ने अपने संदेश में कहा, 'अब वह समय आ गया है जब भारत भी अपनी शिक्षा का 'निर्यात' करें. यानी की देश से केवल छात्र ही बाहर नहीं जाएंगे बल्कि भारतीय शिक्षा भी विदेशों में पढ़ाई जाएगी.