
फेसबुक में फेक अकाउंट से संबंधी चर्चाएं लगातार सुर्खियों में बनी रहती हैं. इसके अलावा साल 2016 के अमेरिकी चुनाव में रूस के दखल के संबंध में अपनी भूमिका को लेकर फेसबुक पहले ही जांच के घेरे में है. इस बीच अब फेसबुक ने स्वीकार किया है कि उसके प्लेटफार्म पर 27 करोड़ खाते फर्जी या नकली हैं.
आईएएनएस की खबर के मुताबिक, द टेलीग्राफ की रिपोर्ट में शनिवार को बताया गया है कि सोशल मीडिया दिग्गज ने इस हफ्ते अपनी तिमाही आय के आंकड़े जारी किए थे और इसके साथ ही यह खुलासा भी किया था कि उसने जितना अनुमान लगाया था, उससे दसों लाख गुना ज्यादा फर्जी या नकली खाते हैं.
द वाशिंगटन पोस्ट की अक्टूबर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक ने सांसदों को यह बताने की योजना बनाई थी कि 12.6 करोड़ प्रयोक्ताओं ने रूसी ऑपरेटरों द्वारा उत्पादित और वितरित सामग्री देखी होगी. यह कंपनी द्वारा पहले बताए गए आंकड़ों से कई गुना अधिक है. फेसबुक ने पहले बताया था कि लगभग 10 लाख यूजर्स ने उन विज्ञापनों को देखा था.
इसके अलावा पिछले महीने के अंत में एक और खबर आई थी कि सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक राजनीतिक विज्ञापनों को पारदर्शी बनाने का वादा किया है. इसके जरिए फेसबुक सोशल नेटवर्क के यूजर्स को विज्ञापनदाताओं की पहचान और उनकी स्थिति समेत दूसरी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करने की अनुमति देगा.
फेसबुक विज्ञापनों के उपाध्यक्ष रॉब गोल्डमैन ने एक बयान में कहा था, 'जो विज्ञापनदाता चुनाव से संबंधित विज्ञापन चलवाना चाहते हैं. अब हमें उनके तमाम दस्तावेजों की जरूरत होगी.'
गोल्डमैन ने कहा था, 'हम अमेरिका के संघीय चुनाव से शुरुआत करेंगे और बाद में दूसरे देशों में चुनाव और अधिकार क्षेत्र में होने वाले चुनाव और अतिरिक्त प्रतिस्पर्धाओं की तरफ अपना रुख करेंगे.'
दस्तावेज जुटाने की प्रक्रिया के तहत चुनाव संबंधी विज्ञापन चलवाने के लिए विज्ञापनदाताओं की पहचान की जरूरत पड़ सकती है. साथ ही, उन्हें अपनी वास्तविकता और स्थिति को सत्यापित करानी होगी. एक बार सत्यापित होने के बाद उन विज्ञापनदाताओं को अपने चुनाव संबंधी विज्ञापनों का खुलासा करना होगा.