
छत्तीसगढ़ में 19 नवंबर को दूसरे और अंतिम चरण का चुनाव निपटने के साथ ही कथित तौर पर लीक हुई एक चिट्ठी बहुत चर्चा में है. इस चिट्ठी में कांग्रेस के तथाकथित ‘प्लान’ का हवाला दिया गया है. चिट्ठी सामने आने से राज्य में राजनीतिक खलबली मच गई.
सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही इस चिट्ठी के मुताबिक कांग्रेस का प्लान है कि अगर वो सत्ता में आती है तो किसानों को जो कर्ज़ माफी के लाभ मिल रहे हैं, उनमें कटौती कर दी जाएगी. चिट्ठी में दावा किया गया है कि ये कांग्रेस पदाधिकारियों की लीक हुई आंतरिक बातचीत पर आधारित है.
हालांकि शेयर की जा रही चिट्ठी में किसानों की कर्ज माफी को लेकर कांग्रेस का नाम लेकर जो दावा किया जा रहा है, पार्टी अपनी पब्लिक रैलियों में उससे ठीक उलट कह रही है.
किसानों की कर्जमाफी छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में इस बार बड़ा मुद्दा है. हर राजनीतिक दल वोटरों को लुभाने के लिए इस मुद्दे को भुनाना चाहता है. एक न्यूज एजेंसी रिपोर्ट के मुताबिक, 17 नवंबर को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में एक चुनावी रैली में वादा किया था कि ‘अगर राज्य में कांग्रेस सत्ता में आई तो पार्टी 10 दिन में किसानों का कर्ज माफ कर देगी और ये पैसा विजय माल्या, नीरव मोदी और अनिल अंबानी जैसों के पास से आएगा.’ ऐसे में वायरल चिट्ठी में जो दावा किया गया है वो उन वादों से बिल्कुल उलट हैं जो और किसी ने नहीं बल्कि खुद कांग्रेस अध्यक्ष ने किए हैं.
इंडिया टुडे फैक्ट चेक टीम ने अपनी पड़ताल में चिट्ठी को फ़र्जी पाया. चिट्ठी में ही ऐसे कई सबूत हैं जो इसका फर्जी होना साबित करते हैं. चिट्ठी को छत्तीसगढ़ में मतदान शुरू होने से पहले तक सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से शेयर किया जा रहा था.
जब हमने चिट्ठी के कंटेट से जुड़े कीवर्ड्स को फेसबुक पर सर्च किया तो हमें इस मुद्दे पर कई प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं.
पड़ताल की शुरुआत में ही चिट्ठी में कुछ बड़ी गलतियां दिखीं. पहली बात, ये साफ नहीं कि चिट्ठी किसको लिखी गई. दूसरी बात, इसे तीन लोगों को CC किया गया था लेकिन जिस शख्स के लिए इसे लिखा गया, उसी का नाम चिट्ठी से नदारद है.
चिट्ठी में किसानों की कर्ज माफी को लेकर 6 बिन्दुओं का हवाला दिया गया है. लेकिन चिट्ठी के आखिर में लिखा गया है कि ‘नीचे लिखे’ बिन्दुओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए. हालांकि चिट्ठी में लिखा जाना चाहिए था कि ‘ऊपर लिखे’ बिन्दुओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए. राजनीतिक दलों की औपचारिक चिट्ठियों में इस तरह की गलतियां संभव हैं लेकिन ये कभी-कभार ही होती हैं.
हमने छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के महासचिव शैलेश नितिन त्रिवेदी से संपर्क किया. त्रिवेदी के लैटर हैड पर ही ये चिट्ठी लिखी गई थी. त्रिवेदी ने दावा किया कि उन्होंने बीते 36 साल में कभी लैटर हैड का इस्तेमाल नहीं किया. उन्होंने चिट्ठी की अन्य कई गलतियों की ओर भी इशारा किया.
त्रिवेदी ने कहा कि चिट्ठी के आखिर में जो हस्ताक्षर हैं वो उनके नहीं हैं. त्रिवेदी के मुताबिक ये दस्तखत छत्तीसगढ़ कांग्रेस के एक और पदाधिकारी गिरीश देवांगन के हस्ताक्षर से मिलते जुलते हैं. हमने चिट्ठी की पड़ताल में पाया कि वाकई चिट्ठी के नीचे हस्ताक्षर गिरीश देवांगन के हस्ताक्षर से ही मिलते दिखते हैं, त्रिवेदी के नहीं.
त्रिवेदी और देवांगन, दोनों के हस्ताक्षर इस पुलिस शिकायत कर्ज माफी पर फर्जी पत्र में देखे जा सकते हैं. ये शिकायत दोनों ने इस फर्जी चिट्ठी के खिलाफ दर्ज कराई है.
चिट्ठी में त्रिवेदी का पता भी गलत दिया गया है. ये पता ‘खरोरा गांव, रायपुर’दिया गया है. त्रिवेदी ने हमें बताया कि उनके गांव का नाम खरोरा नहीं बल्कि पहांदा है. खरोरा असल में उस गांव का नाम है जिससे देवांगन ताल्लुक रखते हैं.
चिट्ठी में ‘छत्तीसगढ़ कांग्रेस समिति’का हवाला दिया गया है. जबकि हकीकत में कांग्रेस की छत्तीसगढ़ यूनिट का नाम ‘छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी’ है. त्रिवेदी छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के भी प्रमुख हैं. हैरानी की बात है कि चिट्ठी को कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के प्रमुख को भी CC किया गया है. इसका मतलब ये है कि त्रिवेदी ने चिट्ठी की एक प्रति खुद को ही भेजी. ऐसी संभावना न के बराबर है कि किसी अहम राजनीतिक दल के कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट का प्रमुख इस तरह का कोई काम करे.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने पुलिस में फर्जी चिट्ठी को लेकर शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में कहा गया है कि फर्जी चिट्ठी को वॉट्सऐप ग्रुप से फैलाया गया, जिसे फोन नंबर 6261995046 से ऑपरेट किया गया. हमने इस नंबर पर कई बार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन वो हर बार स्विच ऑफ मिला. शिकायत में फेसबुक पेज ‘Bhupesh Baghel for CM’ की भूमिका का भी हवाला दिया गया है.
फेसबुक पेज भी फर्जी
त्रिवेदी के मुताबिक ये फेसबुक पेज भी फर्जी है और इसे कांग्रेस नेता भूपेश बघेल की छवि खराब करने के उद्देश्य से बनाया गया है. हमने पड़ताल में पाया कि अब इस तरह के नामों वाले कई फेसबुक पेजों को डिलीट कर दिया गया है. ये सारे सबूत साफ तौर पर इशारा करते हैं कि चिट्ठी फर्जी है और इसके पीछे जो लोग थे वो अब इसमें अपनी भूमिका की छिपाने की कोशिश कर रहे हैं.