
सोशल मीडिया पर एक ब्लैक एंड व्हाईट तस्वीर शेयर की जा रही है. इस तस्वीर में दिख रहे शख्स के स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह होने का दावा किया जा रहा है. ये फोटो ‘वी सपोर्ट इंडिया’ नाम के फेसबुक पेज पर अपलोड की गई. इस पेज के करीब 50 लाख फॉलोअर्स हैं. तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा हुआ है- ‘भगत सिंह की असली फोटो. कमेंट में जय हिंद लिखें.’
इस फोटो पर हजारों लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी. साथ ही भगत सिंह को श्रद्धांजलि भी दी. हालांकि शीतल चौहान और राहुल सिंह जैसे कुछ लोगों ने लिखा कि ये तस्वीर भगत सिंह की नहीं है.
इंडिया टुडे की फैक्ट चेक टीम ने अपनी पड़ताल में पाया कि ये तस्वीर भगत सिंह की नहीं बल्कि फर्रूखाबाद के नवाब नवाब तफ़ाज़्ज़ुल हुसैन खान की है.
हमने अपनी पड़ताल तस्वीर के रिवर्स सर्च से शुरू की. इससे हम इंटरनेट के कई लिंक तक पहुंचे जहां तस्वीर में दिख रहे शख्स को नवाब तफ़ाज़्ज़ुल हुसैन खान बताया गया.
फर्रूखाबाद से हमारे संवाददाता ने तफ़्फ़ाजुल हुसैन खान के पड़पोते काजिम अली खान बंगश से तस्वीर की असलियत जानने के लिए संपर्क किया. बंगश ने तस्वीर उनके पड़दादा की होने की पुष्टि की. बंगश ने इंडिया टुडे से कहा- ‘तफ़ाज़्ज़ुल हुसैन खान फर्रूखाबाद के आखिरी नवाब थे, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया था. उन्हें 1857 में स्वतंत्रता सेनानियों की मदद करने की वजह से पहले मौत की सजा सुनाई गई फिर मक्का निर्वासित कर दिया गया.’
इस तस्वीर को प्रख्यात जरनल ला ट्रोब में भी जगह मिली थी, जिसे स्टेट लाइब्रेरी विक्टोरिया ने प्रोड्यूस किया. जरनल में ‘Images of Empire: Sir Henry Barkly’s Photograph album, 1858-1877’ नाम से लेख में नवाब तफ़ाज़्ज़ुल हुसैन खान की तस्वीर को जगह दी गई है. तस्वीर के कैप्शन में साथ लिखा गया- ‘फर्रूखाबाद के नवाब को गदर के दौरान उनके अपराधों के लिए जिंदगी भर के लिए भारत से निकाला गया, अब वो मक्का में रह रहे हैं.’
जानेमाने लेखक विलियम बिएल ने अपनी किताब ‘The Oriental Biographical Dictionary ’, में तफ़ाज़्ज़ुल हुसैन खान को ‘फर्रूखाबाद का बाग़ी नवाब’ बताया. किताब के एक अंश में लिखा गया है- “ब्रिटिशों पर आश्रित इस शख्स ने 1957 की बग़ावत के दौरान 62 अंग्रेज पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की हत्या की.’ किताब में आगे लिखा गया- ‘नवाब के सरेंडर के बाद मुकदमा चलाया गया और दोषी करार दिए जाने के बाद नवाब को मौत की सजा सुनाई गई...नवाब ने मक्का जाना चुना.’
तफ़ाज़्ज़ुल हुसैन खान के पड़पोते से मिली जानकारी, ऑस्ट्रेलियाई जरनल और किताब में दिए अंशों से एक ही नतीजा निकला और वो नतीजा है कि तस्वीर भगत सिंह की नहीं तफ़ाज़्ज़ुल हुसैन खान की है.
तस्वीर में शख्स को भगत सिंह बताना गुमराह करने वाला है. स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी नेता भगत सिंह को सुखदेव थापर और शिवराम हरी राजगुरु के साथ 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी.
अजीत तिवारी / खुशदीप सहगल