सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसके जरिये दावा किया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों के साथ कार में जाते समय पकड़े गए निलंबित डीएसपी देविंदर सिंह को कोर्ट ने जेल से रिहा कर दिया है. देविंदर सिंह को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जनवरी में गिरफ्तार किया था.
वायरल पोस्ट में देश के दो पुलिस अफसरों की तुलना की गई है. एक तरफ पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट की तस्वीर लगाई गई और दूसरी तरफ देविंदर सिंह की. पोस्ट में लिखा गया है कि मोदी की आलोचना करने पर पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को उम्र कैद की सजा दी गई, जबकि आतंकी हमले का षडयंत्र रचने वाले जम्मू-कश्मीर के निलंबित डीएसपी देविंदर सिंह को जेल से रिहा कर दिया गया है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि निलंबित डीएसपी देविंदर सिंह को चार्जशीट दाखिल न होने के कारण आतंकी हमले का षड्यंत्र रचने के केस में जमानत मिली है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में उनके खिलाफ एनआईए वाले केस में जुलाई में चार्जशीट दाखिल होनी है. लिहाजा, उन्हें जेल से रिहा नहीं किया गया है.
फेसबुक पेज “Sarcastic Hyderabadi ” ने एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें एक तरफ पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट की तस्वीर है और उसके नीचे अंग्रेजी में लिखा गया है, जिसका हिंदी अनुवाद है: इन्होंने मोदी की आलोचना की, इस जुर्म में जमानत नहीं मिल सकती, उम्र कैद की सजा हुई.
वहीं दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर के निलंबित डीएसपी देविंदर सिंह की तस्वीर लगाई गई है और इसके नीचे लिखा गया है: इन्होंने आतंकवादी हमले करवाए, इस जुर्म के लिए जमानत मिल सकती है, जेल से रिहा हुए. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
AFWA की पड़ताल
वायरल पोस्ट के साथ किए जा रहे दावे का सच जानने के लिए हमने इंटरनेट पर सर्च किया तो हमें उनकी जमानत संबंधी कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं. इन रिपोर्ट्स के अनुसार, शुक्रवार 19 जून को दिल्ली की एक अदालत ने दविंदर सिंह के खिलाफ दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की ओर से दर्ज किए गए आतंकवादी षड्यंत्र के केस में जमानत दे दी है. यह जमानत समय रहते चार्जशीट दाखिल न हो पाने के चलते दी गई है, लेकिन देविंदर को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) वाले केस में जमानत नहीं मिली है, लिहाजा, फिलहाल वे जेल में ही रहेंगे और रिहा नहीं होंगे.
एनआईए ने भी ट्वीट कर यह जानकारी दी कि देविंदर सिंह अभी न्यायिक हिरासत में ही रहेंगे. उनके खिलाफ एनआईए जुलाई के पहले सप्ताह में चार्जशीट दाखिल करेगी.
क्या है पूरा मामला
सिंह की तैनाती बतौर डीएसपी श्रीनगर एयरपोर्ट पर थी. उन पर आरोप है कि वे आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर नवीद बाबू और उसके साथी इरफान मीर व रफी अहमद को अपनी गाड़ी से शोपियां से कश्मीर स्थित अपने घर तक लेकर आए. उन्हें रात में वहीं पर रखा. चारों 11 जनवरी की सुबह जम्मू के लिए निकले, जहां से वे दिल्ली जाने वाले थे, तभी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और एनआईए दोनों ने ही केस दायर किया था.
उम्र कैद की सजा काट रहे हैं संजीव भट्ट
वायरल पोस्ट में पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट की भी बात की गई है. भट्ट साल 1990 में उनके कार्यकाल के दौरान एक व्यक्ति की हिरासत में मौत के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं. घटना के समय भट्ट गुजरात के जामनगर में एएसपी के पद पर तैनात थे. उन्होंने सांप्रदायिक दंगों के दौरान करीब 100 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया था. उनमें से एक व्यक्ति की छोड़े जाने के बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई थी. हाल ही में उनके बच्चों ने उनके ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया था कि 22 महीने हो गए हैं, उनके पिता उनसे दूर हैं.
पड़ताल में यह साफ हुआ कि देविंदर सिंह को जमानत जरूर मिली है, लेकिन वो अभी जेल में ही रहेंगे. उन्हें एनआईए वाले केस के चलते अभी न्यायिक हिरासत में ही रहना होगा.