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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज में दिल दहला देने वाली दुराचार और नृशंस हत्या की घटना की तर्ज पर एक और घटना फैजाबाद में घटी है. शनिवार की शाम घर से निकली छात्रा को पहले अगवा किया गया, फिर गैंगरेप और वीभत्स टॉर्चर के बाद मरणासन्न अवस्था में पास के बाराबंकी जिले में सड़क के किनारे फेंक दिया गया. दर्द से तड़पती छात्रा ने लखनऊ में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया.
इस घटना को लेकर पुलिस के रवैए से उपजे आक्रोश को दबाने के लिए पूरे क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया है.
फैजाबाद के खंडासा थाना क्षेत्र के अमानीगंज बाजार की रहने वाली उस छात्रा का सपना भी 'कुछ बनने' का था. लेकिन बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद ही परवाज लेते उसके पंख को दरिंदों की नजर लग गई. उन्होंने न सिर्फ उसके वजूद को रौंदा, बल्कि उसके शरीर को उसके ही लहू में नहला दिया. वो निकली तो थी अपने घर से बाजार के लिए, लेकिन उसे क्या पता था कि कुछ दरिंदे उसकी ताक में पहले से घात लगाए बैठे हैं. दरिंदों ने उसे बोलेरो जीप से पहले तो अगवा किया, फिर उसे ले जाकर सामूहिक रूप से हवस का शिकार बनाया. उसके बाद इतने जख्म दिए कि दरिंदों को लगा कि उसकी सांसों की डोर टूट गई. लिहाजा उसे मरणासन्न अवस्था में ही पास के जिले बाराबंकी में सड़क किनारे फेंक दिया. उसे लखनऊ ट्रामा सेंटर ले जाया गया, जहां दर्द से तड़पती छात्रा की सांसों की डोर टूट गई, लेकिन दुनिया को अलविदा कहने से पहले उसको इस हालत में पहुंचाने वाले दरिंदों के नाम पुलिस को बता दिए.
मृतका के भाई आशुतोष दूबे ने कहा, 'वो शाम को घर से बाजार के लिए निकली थी, पर वापस नहीं लौटी. देर रात पता चला कि उसके साथ दुर्घटना घटी है, लेकिन थोड़ी देर में पता लगा कि उसके साथ पहले गैंगरेप किया गया, फिर उसे इस हालत में पहुंचाया गया. पुलिस हम लोगों को अपने साथ ले गई और उन्होंने अपने मनमर्जी की तहरीर लिखवाई और एक को ही नामजद किया.'
हमेशा की तरह फैजाबाद पुलिस का रवैया इस घटना में भी लीपापोती का ही रहा. पुलिस की नींद तब भी नहीं टूटी, जब बाराबंकी पुलिस ने बॉर्डर का जिला होने के नाते लहूलुहान लड़की के बारे जानकारी दी. मौके पर मौजूद कुछ लोगों से जब छात्रा के परिजनों को पता लगा कि उनकी अपनी ही लाडली अगवा हुई है, इसके बाद फैजाबाद पुलिस हरकत में आई, लेकिन कोई कार्रवाई के लिए नहीं, बल्कि मामले की लीपापोती करने के लिए.
एक तरफ परिजन इस खबर से व्यथित जल्दी से जल्दी अपनी लाड़ली के पास पहुंचना चाहते थे और उसके दर्द में उसे जीने का हौसला देना चाहते थे, लेकिन दूसरी तरफ फैजाबाद पुलिस की मंशा कुछ और थी. पुलिस ने परिजनों को अपने साथ ले जाकर पहले मनमाफिक तहरीर लिखवाई और लाख कहने के बावजूद अगवा करने आए चार दरिंदों की जगह केवल एक को ही नामजद कराया. पुलिस की इस कार्यशैली से लोगों में आक्रोश पनपा, लिहाजा लखनऊ ट्रामा सेंटर से मौत की खबर आने के बाद पूरे क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया. हर तरफ पुलिस की सायरन और बूटों की आवाज सुनाई दे रही है. नाराज परिजन शव का अंतिम संस्कार न करके विरोध जता रहे हैं और इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं.
फैजाबाद (ग्रामीण) के एसपी पीयूष रंजन ने कहा, 'मामले में एक की गिरफ्तारी की जा चुकी है, स्थिति नियंत्रण में है. मुकदमा दर्ज हो चुका है, कार्रवाई की जा रही है.'