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पालतू कुतिया की मौत पर मालिक ने 500 लोगों को कराया मृत्यु भोज

जर्मन शैपर्ड नस्ल की पालतू कुतिया से एक परिवार का लगाव चर्चा का विषय बना हुआ है. इस कुतिया को अपने घर का अभिन्न सदस्य मानने वाले परिवार ने उसे लकवा मार जाने पर लम्बे वक्त तक उसकी तीमारदारी की. जब इस इसकी मौत हो गई तो इस परिवार ने पूरे विधि-विधान से न केवल उसका अंतिम संस्कार किया, बल्कि करीब 500 लोगों को मृत्यु भोज भी कराया.

aajtak.in
  • इंदौर,
  • 27 मई 2015,
  • अपडेटेड 8:45 AM IST

जर्मन शैपर्ड नस्ल की पालतू कुतिया से एक परिवार का लगाव चर्चा का विषय बना हुआ है. इस कुतिया को अपने घर का अभिन्न सदस्य मानने वाले परिवार ने उसे लकवा मार जाने पर लम्बे वक्त तक उसकी तीमारदारी की. जब इस इसकी मौत हो गई तो इस परिवार ने पूरे विधि-विधान से न केवल उसका अंतिम संस्कार किया, बल्कि करीब 500 लोगों को मृत्यु भोज भी कराया.

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शहर के रक्मिणी नगर में रहने वाले पप्पू चौहान ने बताया, 'मेरे दो बेटे हैं. मैंने और मेरी पत्नी ने पालतू कुतिया पिकी को अपनी बेटी की तरह माना, क्योंकि वह हमारे परिवार से काफी घुल-मिल गई थी. लकवे की बीमारी से करीब सात महीने तक पीड़ित रहने के बाद उसकी 14 मई को मौत हो गई.'

कैटरिंग के पेशे से जुड़े चौहान ने बताया, 'हमने हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक पिकी का अंतिम संस्कार किया. अंतिम संस्कार के वक्त मेरे बेटे ने मुंडन भी कराया. पिकी की मौत के तेरहवें दिन हमने करीब 500 लोगों को भोजन कराया. भोजन से पहले लोगों ने उसकी तस्वीर पर फूल चढ़ाये.'

वह याद करते हैं और बताते हैं, 'करीब सात महीने पहले पिकी को लकवा मार गया और उसने चलना-फिरना बंद कर दिया. जब महंगे इलाज के बाद भी उसकी सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ, तो पशु चिकित्सक ने एक दिन जवाब दे दिया. उसने हमसे कहा कि वह पिकी को जहर का इंजेक्शन लगाकर कष्ट से मुक्ति दिला सकता है, लेकिन हमने इसके लिए उसे साफ मना कर दिया.'

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चौहान ने कहा, ‘हमने लकवाग्रस्त पिकी की सात महीने तक सेवा की, क्योंकि वह हमारे परिवार की सदस्य थी. उसकी मौत के बाद हमें अपना घर सूना लग रहा है.'

इनपुट: भाषा

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