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मशहूर कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण का निधन, पुणे के अस्पताल में ली आखि‍री सांस

पुणे के एक अस्पताल में भर्ती जानेमाने कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण का सोमवार शाम निधन हो गया है. उन्हें 17 जनवरी को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. 'आम आदमी' को अपनी कूची से जीवंत करने वाले 93 वर्षीय लक्ष्मण को पेशाब संबंधी संक्रमण के लिए दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के सघन निगरानी कक्ष में भर्ती करवाया गया था.

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 जनवरी 2015,
  • अपडेटेड 9:48 AM IST

पुणे के एक अस्पताल में भर्ती जानेमाने कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण का सोमवार शाम निधन हो गया. उन्हें 17 जनवरी को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. 'आम आदमी' को अपनी कूची से जीवंत करने वाले 93 वर्षीय लक्ष्मण को पेशाब संबंधी संक्रमण के लिए दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के सघन निगरानी कक्ष(आईसीयू) में भर्ती करवाया गया था.

बीते दिनों अस्पताल में आरके लक्ष्मण की हालत स्थि‍र बताई जा रही थी. उनकी डायलिसिस हुई और डॉक्टरों ने बताया था कि उनकी हालत में सुधार हो रहा है. हालांकि एहतियाती उपाय के तौर पर चिकित्सकों ने उन्हें सघन निगरानी कक्ष (आईसीयू) में स्थानांतरित कर दिया था. चिकित्सकों ने बताया कि अनेक अंगों के काम करने में विफल रहने के बाद लक्ष्मण को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था.

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अस्पताल सूत्रों ने बताया कि लक्ष्मण को स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न समस्याएं थीं. पहले भी वह गुर्दा संबंधी समस्या और फेफड़े में संक्रमण से पीड़ित रहे हैं. लक्ष्मण को 2010 में स्ट्रोक का सामना करना पड़ा था, जिससे उनके शरीर के दाएं भाग पर बुरा प्रभाव पड़ा था. लक्ष्मण को ‘कॉमन मैन’ नामक शानदार कार्टून चरित्र गढ़ने का श्रेय जाता है.

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्विटर पर कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने लक्ष्मण को देशवासियों के जीवन में ह्यूमर का पुट जोड़ने के लिए शुक्रिया अदा किया है.


 

पीड़ा और व्यंग का अनूठा मेल थे लक्ष्मण
रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण का जन्म 23 अक्टूबर 1921 को मैसूर में हुआ था. उन्हें आम आदमी की पीड़ा को अपनी कूंची से गढ़ने का श्रेय जाता है. खास तौर पर समाज की विकृतियों, राजनीतिक विदूषकों और उनकी विचारधारा के विषमताओं पर भी वे तीखे ब्रश चलाते थे. लक्ष्मण सबसे ज्यादा अपने कॉमिक स्ट्रिप 'द कॉमन मैन' के लिए जाने जाते हैं.

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लक्ष्मण ने मैसूर के महाराजा कॉलेज से पढ़ाई की. उसी दौरान वह 'स्वराज' और 'ब्लिट्ज' जैसी पत्रि‍काओं के लिए काम किया करते थे. उन्होंने पहली बार बतौर कार्टूनिस्ट 'द फ्री प्रेस जर्नल' में फुल टाइम जॉब किया. वह वहां राजनीतिक कार्टूनिस्ट की हैसियत से थे. उन दिनों शि‍वसेना के बाल साहब ठाकरे उनके सहयोगी हुआ करते थे. बाद में वह अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' चले गए, जहां उन्होंने 'द कॉमन मैन' की रचना की और करीब 50 साल तक काम किया.

आरके लक्ष्मण अपनी बेहतरीन प्रतिभा के लिए पद्म विभूषण, पद्म भूषण, बीडी गोयनका पुरस्कार, दुर्गा रतन स्वर्ण पदक और रमन मैग्सेसे जैसे प्रतिष्ठि‍त पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं.

एक कार्टूनिस्ट होने के अलावा उन्होंने 'द एलोक्वोयेन्ट ब्रश', 'होटल रिवीयेरा', 'द मैसेंजर' और अपनी आत्मकथा 'द टनल ऑफ टाइम' का संपादन भी किया है.

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