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झारखंड में बढ़ता बैंक कर्ज ना चुका पाने पर किसान ने की आत्महत्या

रांची से महज 40 किलोमीटर दूर कांके के पिठोरिया इलाके में रहने वाले कालेश्वर महतो पर बैंक का कर्ज था और यहीं उनकी मौत का कारण बन गया. उन्होंने अपने सुसाइड नोट में बढ़ते बैंक कर्ज और फसलों को हुए नुकसान को इसकी वजह बताया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
धरमबीर सिन्हा
  • रांची ,
  • 13 जून 2017,
  • अपडेटेड 7:55 AM IST

महाराष्ट्र, मध्य-प्रदेश और तेलंगाना में किसानों की आत्महत्या की खबरों से देश भर में भूचाल आया हुआ है. इस बीच झारखंड में भी कर्ज के बोझ तले दबे एक किसान ने आत्महत्या कर ली है. बताया जाता है कि किसान कालेश्वर महतो की फसल इस साल बर्बाद हो गयी थी, जिसके बाद बैंक ने उन पर कर्ज वापसी के लिए दवाब बनाना शुरू कर दिया था. इसकी खबर मिलने पर मुख्यमंत्री ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं, वहीँ विपक्ष इसे सरकार की नाकामी बता रहा है.

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कर्ज वापसी का दवाब
रांची से महज 40 किलोमीटर दूर कांके के पिठोरिया इलाके में रहने वाले कालेश्वर महतो पर बैंक का कर्ज था और यहीं उनकी मौत का कारण बन गया. उन्होंने अपने सुसाइड नोट में बढ़ते बैंक कर्ज और फसलों को हुए नुकसान को इसकी वजह बताया है. मृतक के भाई ने बताया की उसने बैंक से 10 हजार को लोन लिया था, जब भाई की पत्नी बैंक का कुछ पैसा देने गयी तो बताया गया कि लोन बढ़कर 50 हजार से जायदा हो गया है. इस खबर से दवाब में आये उनके भाई कालेश्वर ने आत्महत्या कर ली.

राजनीति भी तेज
बैंक से एक बार में कर्ज चुकाने की बात सुनकर कालेश्वर बेहद तनाव में थे. ऊपर से इस साल उनकी मिर्च की फसल सूख गयी थी और मूंग की फसल को पशुओं ने बर्बाद कर दिया था. मौके पर पहुंचे JMM के नेता हेमंत सोरेन से इसे सरकार की नाकामी बताया है. कांके के BDO ने आत्महत्या मामले के जांच शुरू कर दी है.

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किसानों को भूली सरकार!
देश में मचे बवाल के बीच झारखण्ड से किसान की आत्महत्या करने की खबर से प्रदेश की रघुवर सरकार सकते में है. सरकार की ओर से तुरंत मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. लेकिन सवाल है कि उद्योगपतियों के लिए मोमेंटम झारखण्ड जैसे कार्यक्रम आयोजित कर विकास का दावा करने वाली सरकार के एजेंडे से कहीं किसान तो गायब नहीं हो गए हैं.

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