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मौसम विभाग भले ही यह साफ कर चुका हो कि देश में बारिश की संभावना अब न के बराबर ही रह गई है, लेकिन सूखे से बेहाल बुंदेलखंड के किसानों को अब भी लगता है कि अगर 'बारिश वाली माता' चाहेंगी तो बारिश जरूर होगी. अपनी इस आस्था के पीछे ग्रामीण किसान पहले हुई बारिश का तर्क भी देते हैं.
आस्था और जरूरत की इन्हीं पगडंडियों पर चलते ये किसान बांदा के लामा गांव में इकट्ठे होकर 'बारिश माता' को खुश करने में लगे हैं. चौतरफा सजे देवी पंडालों के बीच बुंदेलखंड में एक जगह ऐसी भी है, जहां बदहाल और बेबस किसान पानी के लिए माता की भक्ति कर रहे हैं.
ये हैं पानी वाली माता
नवरात्र के पहले दिन से ही 'बारिश वाली माता' को खुश करने के लिए करोड़ों आहुतियां दी जा रही हैं. बांदा से 14 किमी दूर बसे लामा गांव के बीहुल देवी मंदिर को स्थानीय लोग पानी वाली माता का दर्जा देते हैं. नवरात्र में चलने वाले महायज्ञ में कई गांवों के किसान शामिल हो रहे हो रहे हैं.
ऐसे करते हैं आयोजन में मदद
अपनी हैसियत के मुताबिक जिससे जो बन रहा है वह यहां आकर मदद कर रहा है. आयोजन में शामिल किसानों के कई परिवार ऐसे भी हैं जो पैसे से नहीं तो आटा-अनाज से ही मदद कर रहे हैं. जिनकी इतनी भी गुंजाइश नहीं है वे श्रमदान कर रहे हैं.
यह है आस्था
किसानों का मानना है कि महायज्ञ समाप्ति के अंतिम दिन जब यहां बड़ा भंडारा होगा तब अगर बारिश वाली माता खुश होंगी तो यहां जमकर बारिश होगी. हकीकत जो भी हो लेकिन मुफलिसी और मायूसी के अंधेरे में फंसा यहां का किसान सरकार से आस लगाए बैठा है. उसे लगता है कि सरकार मदद करने में भले ही देर कर दे, लेकिन अंतिम वक्त में ही सही मदद जरूर करेगी.
बुंदेलखंड में औसत से कम बारिश
यूपी का बुंदेलखंड इलाका कई साल से सूखे की चपेट में है. बांदा में जरूरत से 48 फीसदी कम, झांसी में 49 फीसदी, चित्रकूट में 48 फीसदी, महोबा में 33 फीसदी, हमीरपुर में 45 फीसदी और जालौन जिले में 51 फीसदी औसत बारिश हुई है. दो दिन पहले बांदा आए ये यूपी बीजेपी अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने भी उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार से बुंदेलखंड को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की थी.