
छत्तीसगढ़ में धान की खरीदी दीपावली के पहले करने की मांग को लेकर किसान सड़कों पर उतर आये हैं. उनके मुताबिक ना तो त्योहार मनाने के लिए उनके पास पैसा है और ना ही कर्ज चुकाने के लिए. राज्य में सालाना 10 हजार करोड़ से ज्यादा धान की खरीदी होती है. आमतौर पर यह खरीदी एक नवम्बर से शुरू हो जाती है. लेकिन इस बार राज्य सरकार ने 15 नवम्बर से धान की खरीदी शुरू करने का निर्णय लिया है.
इसके चलते राज्य भर में किसान आंदोलन कर रहे हैं. कांग्रेस ने किसानों के इस आंदोलनों को यह कहकर हवा दे दी है कि, सरकार की प्राथमिकता किसान नहीं बल्कि 1 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का छत्तीसगढ़ आगमन है. दरअसल प्रधानमंत्री मोदी कई योजनाओं के उद्घाटन के सिलसिले में 1 नवम्बर को रायपुर आ रहे हैं.
रायपुर से लेकर बस्तर तक तो बिलासपुर से लेकर सरगुजा तक इन दिनों किसानों के जत्थे सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते साफ़ तौर पर देखे जा सकते हैं. किसान इस बात को लेकर उखड़े हुए हैं कि इस बार धान की खरीदी 1 नवम्बर की बजाय 15 नवम्बर से शुरू हो रही है. दीपावली सिर पर है, साहूकार कर्ज की अदाएगी को लेकर तगादा कर रहा है. और ऊपर से कटाई के बाद धान का भंडारण खेत खलियानो में करना पड़ रहा है. किसानों के मुताबिक जेब खाली होने के चलते उनकी हालत पतली होते जा रही है. लगातार दो सालों से सूखे का सामना कर रहे इन किसानों को उमीद थी कि कटाई के तत्काल बाद उनकी पौ बारह हो जाएगी. लेकिन उनके अरमानों पर उस समय पानी फिर गया जब सरकार ने धान की खरीदी 15 दिन आगे बड़ा दी. आमतौर पर राज्य में छत्तीसगढ़ के गठन की वर्षगांठ 1 नवम्बर के दिन से धान की खरीदी होती है. पिछले 15 वर्षो में कभी भी ऐसी स्थिति नहीं बनी कि धान की खरीदी की तिथि में फेरबदल करना पड़ा हो. खरीदी की देरी से शुरुआत किसानों पर भारी पड़ रही है.
उधर छत्तीसगढ़ की वर्षगांठ 1 नवम्बर के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रायपुर आ रहे हैं. दो घंटे के अपने व्यस्त कार्यक्रम के दौरान वो राज्योत्सव की शुरुआत करेंगे. कई सरकारी बिल्डिगों और योजनाओ के शिलान्यास और लोकार्पण के अलावा वो जंगल सफारी को राज्य की जनता को सौपेंगे. प्रधानमंत्री एक आमसभा को भी संबोधित करंगे. कांग्रेस का आरोप है कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के लिए किसानों की अनदेखी की जा रही है. कांग्रेस के मुताबिक बीजेपी की सरकार ने प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए किसानों को मुसीबत में डाल दिया है.
उधर सरकार की दलील है कि राज्य में एक माह देरी से मानसून आने के चलते धान की खरीदी की तिथि आगे बढ़ानी पड़ी है. उसके मुताबिक दीपावली के पहले मात्र दस फीसदी किसान ही अपनी फसलों की कटाई करते हैं. फसलों की कटाई के बाद उसके सूखने और रख-रखाव के लिए पूरे 15 दिन लगते हैं. इस लिहाज से धान की खरीदी की तिथि 15 नवम्बर निर्धारित की गई है. सरकार का आरोप है कि कांग्रेस इस मामले में जानबूझकर किसानों को बरगला रही है. जबकि वो हकीकत से वाकिफ है.
छत्तीसगढ़ में लगातार दो बार सूखा पड़ने के चलते किसानों की आत्महत्या के 208 मामले सामने आए हैं. हालांकि इस बार मानसून ने किसानों का साथ दिया है. कही उनके खेत खलिहरान कटी हुई फसलों से पटे पड़े हैं. तो कहीं खेतो में हरी भरी फसले लहलहा रही है. किसान खुश तो है लेकिन त्योहारी सीजन में खाली जेब उन्हें भारी पड़ रहे हैं. कई किसानों ने धान मंडियों का रुख भी किया. लेकिन उन्हें मायूसी हाथ लगी क्योंकि वहां बिचौलिये धान की खरीदी 1200 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर लिवाली के लिए तैयार नहीं थे.