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देश में लगातार दूसरे साल हुई कम वर्षा और 10 राज्यों के सूखा प्रभावित घोषित होने से उपजे हालात पर केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने खास बातचीत में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए ऐप जारी होने को किसान हित में बड़ा कदम बताया और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में मौजूद भ्रष्टाचार दूर करने पर जोर दिया.पेश हैं बातचीत के खास अंशः
प्रः आप जब से कृषि मंत्री की कुर्सी पर बैठे तब से चार फसलों पर संकट आया, इस चुनौती से कैसे निबट रहे हैं आप?
उः सरकार जब आई तो उस वक्त देश में माइनस 10 फीसदी बारिश हुई थी. हमने तुरंत 500 जिलों के लिए कंटिजेंसी प्लान बनाया और राज्यों को मुहैया कराया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद पहल करके डीजल, चारे, बागवानी और हर अन्य जरूरी चीज पर राज्य सहायता उपलब्ध कराई. इसका असर यह हुआ कि बुआई में मात्र 3-4 फीसदी की कमी आई. जितनी बड़ी आपदा थी उससे निबटने में हम सक्षम रहे.
प्रः लेकिन इस खरीफ में तो 14 फीसदी कम बारिश हुई है?
उः इस बार तो 14 से 20 फीसदी कम है. हमने 600 जिलों को कंटिजेंसी प्लान मुहैया करा दिया है. 93 तरह के सूखारोधी बीज उपलब्ध कराए हैं. किसानों ने मेहनत की राज्यों ने सहयोग दिया. परिणाम क्या है, आज देखें कि मोटे अनाज के उत्पादन में छह फीसदी की वृद्धि हुई है. दलहन की बुआई या तो पिछले सीजन के बराबर होगी या अधिक हो सकती है. रबी की बुआई में इस समय तक मात्र तीन फीसदी की कमी है. बुआई की कमी का जो अंदाजा था उससे काफी बेहतर स्थिति है.
प्रः लेकिन यह क्या वजह है कि जब रबी की फसल पर संकट खड़ा हो गया है, तब खरीफ में पड़े सूखे का जायजा लेने केंद्रीय टीमें जा रही हैं?
उः राज्य में आपदा आती है तो हर राज्य केपास राज्य आपदा कोष में पैसा रहता है. राज्य के पास अन्य मद में भी पैसा होता है, सहायता के लिए. कोष के कुछ नॉर्म्स हैं, उसके आधार पर राज्य सूखा घोषित करता है. अगर पिछली सरकारों से तुलना करें तो 2010-11 से 2013-14 तक के चार साल में राज्यों ने आपदा राहत के लिए केंद्र सरकार से एक लाख करोड़ रु. मांगे, जबकि राज्यों को सिर्फ 13,762 करोड़ रु. ही दिए गए. वर्ष 2014-15 में राज्यों ने आपदा कोष से 42,000 करोड़ रु. की राशि मांगी जबकि हमने 9,000 करोड़ रु. और ज्यादा दिए. इस साल भी 21 जनवरी तक एनडीआरएएफ से 11,742 करोड़ रु. दिए जा चुके हैं.
प्रःप्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मौजूदा बीमा योजना से कितनी अलग है?
उः मान लीजिए किसान 30,000 रु. की फसल उगाता है तो उसकी फसल का 30,000 रु. का बीमा होगा. अगर फसल खराब होती है तो उसे पूरा क्लेम मिलना चाहिए. पिछली सरकार में हो यह रहा था कि अपने हिस्से का प्रीमियम बचाने के लिए सरकार बीमा राशि को कम करा देती थी. जैसे किसी किसान ने बीमा तो कराया 30,000 रु. का लेकिन असल में प्रीमियम कम जमा होने से बीमा रह गया 12,000 रु. का. यह सरकार की तरफ से प्रीमियम कैप करने की वजह से होता था, अब यह कैप खत्म कर दिया गया है.
प्रः फसल को नुक्सान के आकलन के पुराने तरीकों को जारी रखकर, नुक्सान का आकलन तेजी से कैसे होगा?
उः हम हर लेखपाल को स्मार्ट फोन दे रहे हैं, मोबाइल ऐप के सहारे 25 फीसदी क्लेम तो तुरंत मिलेगा. हम ड्रोन और सैटेलाइट का इस्तेमाल कर रहे हैं? हमारा मोबाइल ऐप बन चुका है. दो तीन दिन में गाइडलाइन चली जाएगी. सब राज्यों को भेज दी जाएगी.
प्रः ऐप देना एक चीज है और स्मार्ट फोन देना दूसरी चीज है. जैसे स्मार्ट फोन तो मेरे भी पास है, जिसमें मैं आपका ऐप डाउनलोड कर सकता हूं. तो पहले लेखपाल के पास स्मार्ट फोन तो पहुंचे तभी तो ऐप काम करेगा.
उः स्मार्ट फोन देना है, पैसा हमारे पास है, जो राज्यों को दे दिया जाएगा. स्मार्ट फोन देना आसान है, ऐप बनाना कठिन है, जो बन चुका है.
प्रः क्या आगामी खरीफ सीजन में फसल बीमा ऐप आधारित तकनीक से मिलेगा?
उः आप यह लिखिए कि ऐप जारी कर दिया गया है. हम इससे तेजी से सूचना मंगाएंगे. अगर स्मार्ट फोन नहीं होगा तो ऐप का इस्तेमाल कैसे होगा, यह तो हमें भी मालूम है. तो अगर ऐप जारी किया है और लेखपाल के पास स्मार्ट फोन नहीं होगा तब तो ऐप बेकार है. अगर ऐप जारी कर दिया है और स्मार्ट फोन नहीं देगी, क्या भारत सरकार इतनी मूर्ख है. स्मार्टफोन में इसका इस्तेमाल हो इसीलिए तो ऐप दिया है.
प्रः अगर आप को इस ऐप पर इतना ही भरोसा है तो यह बताइए कि खरीद 2016 में अगर किसी तरह का संकट आता है तो किसान को कितने दिन में उसका बीमा क्लेम मिल जाएगा?
उः यह इस बात पर निर्भर करता है कि राज्य सरकारें किस तेजी से हमें सहयोग करती हैं. राज्य सरकारें जिस अनुपात में सहयोग करेंगी, उसी अनुपात में परिणाम आएंगे.
प्रः तो किसान को इस खरीफ में बीमा के नाम पर नया क्या मिलेगा?
उः फसल सीजन के बीच में आपदा की सूरत में तुरंत दिया जाने वाला 25 फीसदी बीमा क्लेम उसे तुरंत मिलेगा, यह इसी खरीफ सीजन से आप देखेंगे. मोदी सरकार के काम करने के तरीके जनहितैषी और हाइटेक हैं.