Advertisement

बेरहम सिस्टम: बेटे के पोस्टमार्टम के लिए 18 घंटे भटकता रहा पिता

झाबुआ के पांगु गिरवाल के 10 साल के बेटे पंकज को सोमवार शाम सांप ने काट लिया. कुछ ही देर बाद पंकज की मौत हो गई. इसके बाद बेटे के पोस्टमार्टम के लिए पांगु करीब 18 घंटे तक चक्करघिन्नी बना रहा.

बेटे का शव लेकर भटकते पांगु गिरवाल बेटे का शव लेकर भटकते पांगु गिरवाल
खुशदीप सहगल
  • झाबुआ,
  • 06 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 9:08 PM IST

कभी ओडिशा का कोई दाना मांझी पत्नी के शव को सिर पर लेकर 10 किलोमीटर तक पैदल चलता है. कभी यूपी के बागपत की कोई इमराना मासूम बेटी के शव को लेकर अस्पताल के बाहर रात भर बैठी रहती है लेकिन उसे एंबुलेंस नहीं मिलती. सिस्टम की संवेदनहीनता का ऐसा ही एक वाकया अब मध्य प्रदेश के झाबुआ से सामने आया है. यहां एक आदिवासी शख्स के साथ जो बीती, उसे देखने के बाद यही कहा जाएगा शिवराज सिंह चौहान के राज वाला एमपी अजब है, यहां की पुलिस गजब है.

Advertisement

झाबुआ के पांगु गिरवाल के 10 साल के बेटे पंकज को सोमवार शाम सांप ने काट लिया. कुछ ही देर बाद पंकज की मौत हो गई. इसके बाद बेटे के पोस्टमार्टम के लिए पांगु करीब 18 घंटे तक चक्करघिन्नी बना रहा. कभी अस्पताल से थाने तो कभी थाने से चौकी तक दौड़ लगाता रहा. आखिर एक दिन बाद पंकज का पोस्टमार्टम हो सका.

चौकी में दो घंटे बिठाए रखा, फिर सुबह आने को कहा
पंकज की मौत के बाद मेघनगर स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने पोस्टमार्टम के लिए उसे मेघनगर थाने ले जाने की सलाह दी. मेघनगर थाने पहुंचा तो पांगु को कहा गया कि शव को रंभापुर चौकी ले जाओ, वहीं लिखापढ़ी होगी. पांगु बेटे के शव को लेकर रंभापुर चौकी पहुंचा तो पहले दो घंटे तक बिठाए रखा गया. फिर उसे कहा गया कि शव को घर ले जाओ, सुबह आना. पांगु के पास शव को घर ले जाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था. सुबह वो बेटे के शव को लेकर रंभापुर चौकी पहुंचा तो फिर घंटों तक उसे बैठाए रखा. लिखापढ़ी करने के बाद फिर उसे मेघनगर थाने भेज दिया गया. आखिर दोपहर को पोस्टमार्टम के बाद पंकज का अंतिम संस्कार हो सका.

Advertisement

अगर पुलिस गंभीरता दिखाती तो पंकज का पोस्टमार्टम सोमवार को ही हो सकता था. लेकिन 18 घंटे तक वो कभी किराए की जीप और कभी पैदल ही बेटे के शव को लेकर इधर से उधर घूमता रहा. सिस्टम में जो बैठे हैं, आखिर कब जागेंगी उनकी संवेदनाएं. आखिर क्यों एक मासूम के शव को लेकर इधर-उधर भटकते पिता को देखकर भी इनकी संवेदनाएं नहीं जगतीं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement