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पहले बर्थ डे पर हाइड्रोजन बम की सौगात. फिर नेशनल डे पर एक और परमाणु बम का तोहफा. फिर तीसरा, चौथा और अब पांचवां. उत्तर कोरिया का सनकी तानाशाह किम जोंग उन दुनिया के लिए सबसे नया और बड़ा खतरा बनता जा रहा है. इस तानाशाह ने सिर्फ नौ महीने के अंदर दूसरी बार परमाणु बम का परीक्षण कर दुनिया को ये बता दिया है कि वो किसी की सुनने वाला नहीं. ऐसे में अगर परमाणु बमों से लैस इस तानाशाह का दिमाग फिर गया, तो अंजाम क्या होगा, अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.
9 सितंबर, 2016 को नॉर्थ कोरिया के प्योंगांग में पूरी दुनिया से अलग-थलग इस मुल्क के साइंसदानों ने एक बटन दबाया और उधर राजधानी प्योंगांग से सैकड़ों मील दूर पुंग्ये-री न्यूक्लीयर सेंटर के करीब जमीन के काफी अंदर एक जबरदस्त धमाका होता है.
जोंग की सनक का नतीजा
धमाका इतना ताकतवर था कि पूरी धरती हिल गई. उत्तर कोरिया के साथ-साथ दक्षिण कोरिया समेत आस-पास के कई देशों में 5.3 की तीव्रता का भूकंप आ गया. जाहिर है ये भूकंप इसी धमाके की देन थी. लिहाजा भूकंप के फौरन बाद ही नॉर्थ कोरिया के पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया समेत कई मुल्कों ने साफ कर दिया कि ये भूकंप कुछ और नहीं, बल्कि पिछले जनवरी महीने की तरह ही उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह किम जोंग उन की सनक का नतीजा है. यानी नॉर्थ कोरिया की ओर से किया गया अब तक का पांचवा परमाणु बम परीक्षण.
वैसे भी ये परीक्षण बिल्कुल उत्तर कोरिया के पिछले परमाणु परीक्षण की तरह था. इधर, परीक्षण के धमाके से दुनिया ये इलाका हिला और उत्तर प्योंग्यांग समेत देश के तमाम हिस्सों में सरकारी टेलीविजन चैनलों ने खुशियों भरे अंदाज में इसका ऐलान कर दिया. साथ भी ये संदेश देने में भी देर नहीं की कि उत्तर कोरिया किसी से दबनेवाला नहीं है.
9 महीने में 5 परीक्षण
आपको याद होगा उत्तर कोरिया ने इसी साल 6 जनवरी को ऐसा ही एक धमाका अपने सिरफिरे शासक किम जोंग उन को बर्थ गिफ्ट के तौर पर दिया था, क्योंकि ये किम जोंग उन की 32वीं सालगिरह थी और हाईड्रोजन बम के परीक्षण की सूरत में देश के साइंसदानों ने अपने हुक्मरान को एक तोहफा दिया था. अब तकरीबन नौ महीने बाद फिर से उत्तर कोरिया ने जब ये पांचवां परीक्षण किया है, तो इस बार एक खास मौका है. और ये है मुल्क की स्थापना दिवस का. दरअसल, 9 सितंबर ही उत्तर कोरिया का स्थापना दिवस है, क्योंकि इसी रोज 1948 में उत्तर कोरिया को आजादी मिली थी और ऐसे में इस सिरफिरे तानाशाह ने दुनिया को अपनी ताकत दिखाने के लिए इसी दिन को चुना. जाहिर है, ये परीक्षण अब दुनिया के लिए कोई नई खबर नहीं है, लेकिन इसने एक बार फिर दुनिया को नए सिरे से तनाव जरूर दिया है.
कई देशों ने जताई नाराजगी
वैसे खास बात ये है कि उत्तर कोरिया ने खुद को एडवांस परमाणु क्षमता वाले देशों तादाद में होने का दावा तभी कर दिया था, जब उसने नौ महीने पहले चौथा परमाणु बम परीक्षण किया था और तब चीन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे मुल्कों ने इस पर गुस्से का भी इजहार किया था. इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी अपनी नाखुशी का इजहार किया था. लेकिन लगता है कि उत्तर कोरिया पर किसी का असर नहीं है. उधर पिछली बार की तरह ये बात इस बार पहले से ही साफ है कि उत्तर कोरिया और आस-पास के मुल्कों में आया जलजला कुदरती नहीं, बल्कि पिछली बार की तरह बम के धमाके ही नतीजा था.
ये धमाका कितना खतरनाक था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये परमाणु बम के मुकाबले भी कई गुना ज्यादा खतरनाक और तबाही लाने वाला है. कहने का मतलब ये कि एक हाईड्रोजन बम किसी भी बड़े शहर को मिनटों में श्मशान बना सकता है. नॉर्थ कोरिया इससे पहले तीन बार 2006, 2009 और 2013 में न्यूक्लीयर बम की भी टेस्टिंग कर चुका है.
मिनटों में कर सकता है शहरों को मटियामेट
6 और 9 अगस्त 1945 को जापान के दो शहरों हरोशीमा और नागासाकी पर हुए परमाणु बमों के ये धमाके आज भी इतिहास के वो स्याह पन्ने हैं, जिन्हें याद करने भर से रौंगटे खड़े हो जाते हैं. तब महज दो परमाणु बमों ने जापान के इन दो शहरों में सवा दो लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी. अब जरा सोचिए, उस हाईड्रोजन बम की जो इन दो शहरों पर गिराए गए, ऐसे किसी भी परमाणु बम से सौ गुना ज्यादा शक्तिशाली हैं. अगर ऐसा कोई बम किसी शहर पर गिरा दिया जाए, तो अंजाम क्या होगा? बस, इतना समझ लीजिए कि एक हाईड्रोजन बम करोड़-डेढ़ करोड़ की आबादी वाले किसी भी शहर को मिनटों में पूरी तरह से मटियामेट कर सकता है. और यही वजह है कि इस वक्त अगर दुनिया में तबाही का कोई सबसे बड़ा सामान मौजूद है, तो वो हाईड्रोजन बम ही है.
दरअसल, ये एक किस्म का परमाणु बम ही है और इसमें हाइड्रोजन की तरह ही ड्यूटीरियम और ट्राइटिरियम जैसे तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है. परमाणुओं के फ्यूज करने से बम में धमाका होता है और इसके लिए लगभग 5 करोड़ डिग्री सेंटीग्रेड के गर्मी की जरूरत पड़ती है. और ये गर्मी सूरज के सबसे ज्यादा गर्म हिस्से भी ज्यादा गर्म है. जब परमाणु बम ये गर्मी पैदा करता है, तब जाकर हाइड्रोजन परमाणु फ्यूज़ होता है और इससे जो गर्मी पैदा होती है, वो हाइड्रोजन को हीलियम में तब्दील कर देती है.
जोंग बने दुनिया के लिए चिंता
सालों पहले 1922 में वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजन परमाणु के धमाके की ताकत का पता लगाया था. इसके बाद 1932 में ड्यूटीरियम नाम के भारी हाइड्रोजन का और 1934 में ट्राइटिरियम नाम के दूसरे भारी हाइड्रोजन का ईजाद किया गया. फिर 1950 में अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रु मैन ने हाइड्रोजन बम तैयार करने का हुक्म दिया. इसके बाद साउथ कैरोलिना में एक बड़े कारखाने की शुरुआत की गई. फिलहाल अमेरिका रूस, चीन, फ्रांस समेत कई मुल्क हाईड्रोजन बम की ताकत से लैस हैं. मगर उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह के हाथ में इस बम का आना सचमुच दुनिया के लिए चिंता की बात है.
हथियारों की इसी सनक के चलते दुनिया के कई मुल्कों ने उत्तर कोरिया से संबंध खत्म कर लिए लेकिन किम जोंग नहीं माना. अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस जैसे देशों ने किम जोंग के इरादों को रोकने की तमाम कोशिश की. लेकिन उस पर कोई फर्क नहीं पडा. उल्टा अब इस परीक्षण के बाद वो सीधे सीधे अमेरिका को चुनौती दे रहा है.
हालांकि पिछले साल सितंबर में ही वॉशिंगटन स्थित 'इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्युरिटी ने नॉर्थ कोरिया के यांगयोन न्यूक्लियर कॉम्प्लेक्स में खतरनाक वेपन डेवलप करने का शक जाहिर कर दिया था. थिंक टैंक ने सैटेलाइट इमेजेस के आधार पर बताया था कि नॉर्थ कोरिया ने हाइड्रोजन बम बनाने की तकनीक बना ली है. और 6 जनवरी को सचमुच नार्थ कोरिया ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण कर लिया.