
पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले इस साल आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. वित्त वर्ष 2018 के लिए आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 अगस्त तक 5.42 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए जबकि पिछले साल यह संख्या 3.17 करोड़ थी. इस साल आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में शानदार 70.86 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
आमतौर पर आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई होती है, लेकिन इस साल वित्त मंत्रालय ने इस अवधि को बढ़ाकर 31 अगस्त 2018 कर दिया था. अधिकारियों ने बताया कि रिटर्न दाखिल करने का काम 31 अगस्त की मध्यरात्रि तक चला. इसलिए इनकी संख्या में और बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा केरल में बाढ़ आने की वजह से वहां रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर तक बढ़ा दी गई है.
पिछले साल इस तिथि तक करीब 3.2 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किए थे. रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में वृद्धि के लिए अधिकारियों ने मुख्य तौर पर दो वजहें बताईं हैं. पहला नोटबंदी की वजह से कर आधार का विस्तार होना और दूसरा पहली बार देरी से रिटर्न दाखिल करने पर जुर्माना लगाने का फैसला होना है. इनकी वजह से कर रिटर्न अनुपालन की दर बढ़ी है.
खास बात यह है कि दो श्रेणियों में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या बढ़ी है. इनमें पहला है वेतन भोगी तबका जिन्होंने आयकर रिटर्न भरने में तत्परता दिखाई. उन लोगों ने भी रिटर्न भरने में तेजी दिखाई जिन्हें अनुमानित कराधान योजना का लाभ मिलता है. इस बार 3.17 करोड़ वेतन भोगी लोगों ने 31 अगस्त तक आयकर रिटर्न दाखिल किए हैं जबकि पिछले साल 2017 में यह संख्या 2.19 करोड़ थी. मतलब आयकर रिटर्न के लिए पंजीकरण करने वालों की तादाद में 1.18 करोड़ की वृद्धि दर्ज की गई है. इस तरह देखा जाए तो आयकर रिटर्न के लिए पंजीकरण करने वालों की संख्या में 54 फीसदी की वृद्धि हुई है.
खास बात यह कि ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है जिन्हें अनुमानित कराधान योजना का लाभ मिलेगा. इसके तहत 31 अगस्त 2018 तक 1.17 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए जबकि 31 अगस्त 2017 तक 14.93 लाख ही रिटर्न दाखिल किए गए थे. विशेषज्ञों के मुताबिक भारत तेजी से आयकर नियमों के अनुपालन की तरफ बढ़ रहा है जो कि अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है.