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विशाल भारद्वाज बोले- सारा दोष फिल्मों का नहीं, बहरा है सेंसर बोर्ड

हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान, विशाल भारद्वाज ने सेंसर बोर्ड को आड़े हाथों लिया है और फिल्मों पर सेंसर बोर्ड द्वारा चलाई जा रही कैंची पर अपनी राय व्यक्त की है.

विशाल भारद्वाज विशाल भारद्वाज
पुनीत उपाध्याय
  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:30 PM IST

मकबूल, ओंकारा जैसी फिल्म बना चुके फिल्म निर्देशक विशाल भारद्वाज की फिल्मों को कई दफा सेंसर बोर्ड की कैंची झेलनी पड़ी है. हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान, विशाल भारद्वाज ने सेंसर बोर्ड को आड़े हाथों लिया है और फिल्मों पर सेंसर बोर्ड द्वारा चलाई जा रही कैंची पर अपनी राय व्यक्त की है.

विशाल ने एक इवेंट के दौरान सेंसर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन पर निशाना साधते हुए कहा- समाज में किसी भी चीज पर जो गलत होती है उसके लिए फिल्मों को दोष दिया जाता है. फिल्में हमेशा सॉफ्ट कॉर्नर होती हैं.

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जब उनसे पूछा गया कि क्या डिजिटल मीडियम में भी अब सेंसरशिप के आने की संभावना है. इस पर जवाब देते हुए विशाल ने कहा- क्या उन्होंने तब सुना था जब हम लोगों ने कहा था कि फिल्म के दौरान रनिंग विजुअल में नो स्मोकिंग का टिकर नहीं लगाना चाहिए. वे अब क्या सुनेंगे. सेंसर बोर्ड बहरा है. जो वो चाहता है, करता है. सारी दुनिया में सिर्फ भारत ही एक ऐसा देश है जहां पर रनिंग विजुअल के साथ नो स्मोकिंग का टि‍कर बन के आता है.

बता दें कि इससे पहले सेंसर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष पहलाज निहलानी सेंसर बोर्ड का गूंगा और बहरा कह चुके हैं. वे उस समय सेंसर बोर्ड से नाराज हो गए थे, जब उनकी फिल्म रंगीला राजा पर बोर्ड ने 20 कट लगाए.

विशाल ने अपनी बातचीत के दौरान कहा कि अगर किसी के साथ कुछ बुरा होता है तो फिल्मों को ही ब्लेम किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि जैसे संसार की सभी बुराइयों के लिए फिल्में ही जिम्मेदार हैं.

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भारद्वाज ने इस बात का भी खुलासा किया कि जल्द ही वे डिजिटल मीडियम में कदम रखेंगे. उन्होंने कहा- मैं डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एक फिल्म बनाऊंगा. ऐसा करके मुझे खुशी मिलेगी. मैं एक ऐसे कंटेंट की तलाश में हूं जिसे वेब सीरीज के रूप में बनाया जा सके.

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