Advertisement

Film review: 21वीं सदी के लिए नहीं 'भाग जॉनी'

डायरेक्टर शिवम नायर को आप टीवी सीरियल 'सी हॉक्स' और 2006 की फिल्म 'आहिस्ता आहिस्ता' के लिए जानते हैं. इस बार शिवम ने कुणाल खेमू और जोआ मोरानी के साथ 'भाग जॉनी' फिल्म बनाई है, आइए जानते हैं कैसी है यह फिल्म?

फिल्म  'भाग जॉनी' पोस्टर फिल्म 'भाग जॉनी' पोस्टर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2015,
  • अपडेटेड 7:34 PM IST

फिल्म का नाम: भाग जॉनी
डायरेक्टर: शिवम नायर
स्टार कास्ट: कुणाल खेमू. जोआ मोरानी, मंदाना करीमी, उर्वशी रौतेला
अवधि: 118 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A रेटिंग: 1 स्टार

डायरेक्टर शिवम नायर को आप टीवी सीरियल 'सी हॉक्स' और 2006 की फिल्म 'आहिस्ता आहिस्ता' के लिए जानते हैं. इस बार शिवम ने कुणाल खेमू और जोआ मोरानी के साथ 'भाग जॉनी' फिल्म बनाई है, आइए जानते हैं कैसी है यह फिल्म?

Advertisement

कहानी
यह कहानी जनार्दन उर्फ जॉनी (कुणाल खेमू) की है जिसे कुछ कारणों से एक ही समय पर दो अलग-अलग जिंदगियां जीने की जरूरत पड़ती है, फिर एक के बाद एक ऐसी घटनाएं घटती जाती हैं जिसकी वजह से उसे पूरे टाइम भागते रहना पड़ता है. इसी बीच जॉनी की मुलाकात तान्या (जोआ मोरानी ) से भी होती है. फिल्म में सिक्के के दोनों पहलुओं पर सोच विचार करने के लिए प्रेरित किया जाता है, अब जॉनी और तान्या की जिंदगी में क्या होता है यह जानने के फिल्म देखना जरूरी है.

स्क्रिप्ट
फिल्म की स्क्रिप्ट काफी भ्रमित करने वाली है, एक इंसान को एक ही वक्त पर दो अलग-अलग तरह से जिंदगी बिताते हुए देखा जाता है जो 21वींसदी के हिसाब से गड़बड़ लगती है. यह ऐसी कहानी है जो सिर्फ दादा-दादी के किस्सों में ही फिट बैठती है. इतने अच्छे लोकेशंस के साथ फिल्म की कहानी काफी ढीली लगती है, इसे और भी बेहतर बनाया जा सकता था. स्क्रिप्ट लेवल पर ही फिल्म बेहद कमजोर है. कभी भी कुछ भी होने लगता है और अंत में खिचड़ी बन जाती है.

Advertisement

अभिनय
फिल्म में कुणाल खेमू का अभिनय ठीक ठाक है और वहीं दूसरी फिल्म कर रही जोआ मोरानी को किरदार के साथ-साथ अपने लुक के ऊपर भी ज्यादा काम करने की आवश्यकता है, जोआ के अभिनय में कॉन्फिडेंस की कमी साफ झलक रही थी. मानसी स्कॉट का अभिनय बेहतरीन है और अपने किरदार को उन्होंने बखूबी निभाया है. मुकुल देव का काम अच्छा है. विक्रम भट्ट भी इस फिल्म में दिखाई पड़ते हैं लेकिन उनका अभिनय बिल्कुल भी रास नहीं आया, काफी ओवर एक्टिंग सी दिखाई पड़ रही थी.

संगीत
फिल्म का संगीत अच्छा है लेकिन उसका फिल्म में प्रयोग सही ढंग से नहीं हो पाया है. फिल्म के गाने फिल्म की रफ्तार को हल्का कर देते है.

कमजोर कड़ी
सबसे कमजोर कड़ी फिल्म की स्क्रिप्ट है, लोकेशंस काफी उम्दा हैं लेकिन कहानी बिखरी-बिखरी सी नजर आ रही है, 21वीं शताब्दी में इस तरह की कहानी से दर्शकों का दिल जितना नामुमकिन है.

क्यों देखें
अगर आप कुणाल खेमू के दीवाने हैं तो ही यह फिल्म देखें अन्यथा कभी ना कभी तो यह फिल्म टीवी पर आएगी ही, तब तक इन्तजार कर लीजिये.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement