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Movie Review: रणबीर का अंदाज अलग लेकिन स्लो है 'जग्गा की जासूसी'

अनुराग बासु के निर्देशन में बनी फिल्म जग्गा जासूस रिलीज हो गई है. रणबीर कपूर और कटरीना कैफ स्टारर यह फिल्म कैसी है आइए जानें रिव्यू में:

जग्गा जासूस जग्गा जासूस
पूजा बजाज/आर जे आलोक
  • ,
  • 14 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 10:24 AM IST

फिल्म का नाम: 'जग्गा जासूस'

डायरेक्टर: अनुराग बासु

स्टार कास्ट: रणबीर कपूर, कटरीना कैफ, सौरभ शुक्ला, शास्वत चटर्जी

अवधि: 2 घंटा 41 मिनट

सर्टिफिकेट: U/A

रेटिंग: 3 स्टार

निर्माता निर्देशक अनुराग बसु ने रणबीर कपूर के साथ मिलकर फिल्म 'बर्फी' का निर्माण किया था जिसे काफी सराहा गया और उन्हें कई अवॉर्ड्स से सम्मानित भी किया गया था. उसके बाद तकरीबन 4 साल पहले अनुराग बसु ने अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए रणबीर कपूर का नाम चुना और उसकी तैयारी शुरु कर दी. उनका ये प्रोजक्ट फिल्म जग्गा जासूस थी. फिल्म की शूटिंग में काफी वक्त गया और लगभग 4 साल के बाद फिल्म बनकर तैयार हुई और आखिरकार इस शुक्रवार (14 जुलाई) को फिल्म रिलीज भी हो गई .

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अनुराग बासु के लिए यह काफी बड़ा प्रोजेक्ट है जिसमें पहली बार रणबीर कपूर भी प्रोड्यूसर के तौर पर आए हैं और कटरीना संग ब्रेकअप के बाद फिल्म में रणबीर-कटरीना की केमिस्ट्री को देखना भी दिलचस्प होगा, क्या अनुराग बसु की यह फिल्म दर्शकों को भाएगी या नहीं आइए जाने समीक्षा में जानें :

कहानी:

यह कहानी 'जग्गा' (रणबीर कपूर ) की है जो मणिपुर में एक छोटे से अस्पताल में मिलता है और वहीं उसकी परवरिश होती है. जग्गा बोलते हुए हकलाता है लेकिन उसके पिता जग्गा से कहते हैं कि अगर वह गाते हुए बोले तो वह पूरी बातें सही ढंग से बोल पाएगा. स्कूल के दौरान इंग्लिश टीचर की मौत की गुत्थी जग्गा सुलझाता है, फिर कुछ ऐसा होता है कि जग्गा के पिता उसे छोड़कर चले जाते हैं और फिर वह बोर्डिंग स्कूल में अपनी पढ़ाई पूरी करता है. जग्गा के हर जन्मदिन पर उसके पिता उसके लिए एक वीडियो टेप भेजा करते हैं. जग्गा को अपने पिता की तलाश हमेशा से रहती है उसके बाद कहानी में जर्नलिस्ट श्रुति सेन गुप्ता( कटरीना कैफ) की एंट्री होती है, श्रुति का भी एक खास मिशन होता है. जग्गा की मुलाकात श्रुति से होती है और श्रुति के साथ मिलकर जग्गा अपने पिता की खोज में जुटा रहता है. अब क्या जग्गा अपने पिता को खोज पाता है? इसका जवाब आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा.

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क्यों देखें यह फिल्म:

फिल्म की कहानी काफी दिलचस्प है और पिछले 4 सालों से यह बनाई जा रही थी और फिल्म देखते वक्त वाकई इस बात का एहसास होता है कि इस तरह की कहानी को पर्दे पर उतारना काफी मुश्किल काम है. अगर आप अनुराग की फिल्मों के फैन हैं तो उनकी ये फिल्म भी देख सकते हैं.

फिल्म में अनुराग बासु का डायरेक्शन, प्रोडक्शन वैल्यू, कैमरा वर्क ,सिनेमेटोग्राफी, आर्ट वर्क और कई चीजें कमाल की हैं. फिल्म में एडवेंचर के साथ-साथ इमोशनल एंगल भी बहुत अच्छा है जिसे बेहतरीन अंदाज में फिल्माया गया है. साथ ही फिल्म को प्रेजेंट करने का ढंग भी काफी अलग है जैसे शुरुआत में फिल्म देखते वक्त मोबाइल का प्रयोग ना करें या कैरेक्टर्स के नाम दिखाने का अलग ही स्टाइल है.

 

हकलाते हुए डायलॉग बोलना और अपने किरदार को पूरी तरह से जीने की कला रणबीर कपूर को आती है. इस फिल्म में उनके किरदार को देखकर एक बार फिर कहा जा सकता है कि उन्होंने ने अपना किरदार बखूबी निभाया है. इसके अलावा श्रुति के किरदार में कटरीना कैफ भी शानदार दिख रही हैं और रणबीर संग उनकी केमिस्ट्री भी काफी दिलचस्प है. रणबीर के पिता के किरदार में शाश्वत चटर्जी ने बढ़िया काम किया है और सौरभ शुक्ला का भी काम काबिल-ए-तारीफ है. फिल्म के बाकी सह-कलाकारों का काम भी सहज है.

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फिल्म के गाने 'उल्लू का पट्ठा', 'गलती से मिस्टेक', रिलीज से पहले ही हिट है और फिल्म में भी बातचीत छोटे-छोटे गानों के द्वारा ही की जाती है जो देखना काफी दिलचस्प है, फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी कमाल का है और जैसे-जैसे फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है फिल्म का संगीत कहानी को लय में चार चांद लगाता जाता है. फिल्म के संगीत के लिए प्रीतम और अमिताभ भट्टाचार्य की तारीफ किया जाना लाजमी है.

फिल्म में इस्तेमाल की गई लोकेशंस कमाल की है और वीएफएक्स भी काफी उम्दा है जि‍से देखना किसी रोमांच से कम नहीं. अनुराग बासु के शूट करने का ढंग काफी दिलचस्प है और एक ही वक्त पर वह फ्लैश बैक और वर्तमान को बिना किसी रूकावट के दर्शाने में सफल रहे हैं.

फिल्म की स्क्र‍िप्ट मजबूत है और डायलॉग्स भी अच्ठे लिखे गए हैं. फिल्म में ऐसी कई छोटी छोटी बातें शामिल की गईं हैं जि‍नसे दर्शक खुद को कनेक्ट कर पाएंगे.

कमज़ोर कड़ियां

फिल्म काफी लंबी है और 2 घंटे 48 मिनट काफी बड़े लगते हैं. फिल्म की एडिटिंग और क्रिस्प होती तो अच्छा होता. फिल्म में एक ही सीन को बार बार दिखाना बोरियत महसूस करवाता है. फिल्म का क्लाइमेक्स काफी अधूरा-अधूरा सा है जिसे सटीक रखा जाता तो फिल्म पूरी लगती. क्लाइमैक्स कमजोर होने के कारण जहन में 'खोदा पहाड़ निकली चुहिया' वाली बात जहन मे आती है. फिल्म के दौरान कई सारे मुद्दों पर एक ही वक्त पर बात की गई है जिसमें हथियारों की स्मगलिंग, रोमांस, पिता पुत्र की कहानी, मर्डर मिस्ट्री, इत्यादि, जिसकी वजह से फोकस बिगड़ता है और अहम मुद्दा भटकता है. फिल्म में कुछ सीन इतने लंबे हैं जि‍न्हें थोड़ा क्र‍िस्प करके दिखाया जा सकता है.

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बॉक्स ऑफिस

फिल्म का बजट लगभग 100 करोड़ बताया जा रहा है, फिल्म को भारत में 1800 और विदेश में 1150 स्क्रीन पर रिलीज किया जा रहा है. फिल्म को 40 से ज्यादा देशों में 610 से ज्यादा स्क्रींस में रिलीज किया जाएगा. जिनमें से नॉर्थ अमेरिका में 207, UK में 119, गल्फ में 77 और ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड में 41 सिनेमा होंगे. अनुराग को ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई फायदा दिला पाएगी ये कहना मुश्किल है. फिल्म के प्रदर्शन को देखकर तो कहना कुछ भी कहना मुश्किल ही है.

 

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