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फिल्म का नाम: 'दिलवाले'
डायरेक्टर: रोहित शेट्टी
स्टार कास्ट: शाहरुख खान, काजोल, कृति सैनन, वरुण धवन, वरुण शर्मा, बमन ईरानी, विनोद खन्ना, कबीर बेदी, संजय मिश्रा, जॉनी लीवर, मुकेश तिवारी, पंकज त्रिपाठी
अवधि: 2 घंटा 34 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 2.5 स्टार
रोहित शेट्टी का नाम आते ही मनोरंजन और एक्शन याद आ जाता है और अगर साथ में शाहरुख खान का जिक्र हो तो बस प्यार ही फिजाओं में नजर आता है, अब रोहित शेट्टी और शाहरुख का कॉम्बो एक साथ मिल जाए तो चेन्नई एक्सप्रेस जैसी फिल्म बन जाती है, और उसकी सफलता के बाद अब ये दोनों रोमांटिक एक्शन ड्रामा 'दिलवाले' लेकर आये हैं. क्या 'दिलवाले' दर्शकों के मानकों पर खरी उतारेगी? क्या एक बार फिर से रोहित शेट्टी और शाहरुख की जोड़ी कमाल दिखाएगी? क्या शाहरुख और काजोल की रोमांटिक जोड़ी एक बार फिर से दर्शकों के दिल में घर कर जायेगी? आइये इन सभी प्रश्नो के उत्तर के लिए फिल्म 'दिलवाले' की समीक्षा करते हैं.
कहानी
यह कहानी है गोवा में रहने वाले राज (शाहरुख खान) की. भोला भाला और अपने काम से मतलब रखने वाला राज अपने छोटे भाई (वीर) के साथ गाड़ी मॉडिफाई करने का काम करता है. लगभग 15 साल पहले कुछ ऐसी बातें हो जाती हैं जिसकी वजह से राज को बुल्गारिया छोड़ कर गोवा आना पड़ता है, बुल्गारिया में राज को मीरा (काजोल) से मोहब्बत थी लेकिन परिस्थितियों के मुताबिक दोनों बिछुड़ गए. आज 15 सालों के बाद वीर और उसकी गर्लफ्रेंड इशिता (कृति सैनन) की वजह से एक बार फिर से राज और मीरा की मुलाकात होती है लेकिन अब मीरा को वीर से काफी नफरत है. कहानी में कई सारे मोड़ आते हैं, अलग अलग किरदारों जैसे सिद्धू (वरुण शर्मा), किंग (बमन ईरानी), मनी भाई (जॉनी लीवर) का आगमन भी होता है और क्या एक बार फिर से राज और मीरा की जिंदगी में सबकुछ ठीक ठाक हो जाता है? इसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.
स्क्रिप्ट
फिल्म की स्क्रिप्ट में रोहित शेट्टी का एक्शन, साजिद-फरहाद और यूनुस सजवाल का ह्यूमर और शाहरुख-काजोल के रोमांस का संगम है. फिल्म की लिखावट में संवाद का अहम रोल है जिसका ध्यान बखूबी रखा गया है. साजिद-फरहाद को रोहित शेट्टी की फिल्मों का गजब अनुभव है क्योंकि रोहित की ज्यादातर फिल्मों को इन्हीं दोनों ने अपनी लेखनी से एंटरटेनिंग बनाया है. फिल्म की बारीकियों में लोकेशंस का बड़ा ध्यान रखा गया है और बुल्गारिया, गोवा के साथ साथ आइसलैंड की शूटिंग देखना एक ट्रीट जैसा ही लगता है. कई ऐसे फनी वन लाइनर्स हैं जो सुनते ही आपके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. लेकिन जैसा अक्सर होता है, आपको अपने दिमाग का प्रयोग कम से कम करना होगा, क्योंकि सिलसिलेवार घटनाएं काल्पनिक हैं.
अभिनय
मझे हुए कलाकारों के बीच में शाहरुख खान और काजोल की उम्दा एक्टिंग दिखाई देती है. शाहरुख एक लवर के साथ साथ जिम्मेदार भाई के किरदार में सहज अभिनय करते हुए दिखाई देते हैं. वहीं काजोल जीवन के उतार-चढ़ाव में आने वाले हरेक लम्हे को बेहतरीन अभिनय के साथ निभाती हुई नजर आई हैं. युवाओं को वरुण धवन और कृति सैनन की एक्टिंग अच्छी लगेगी. साथ ही विनोद खन्ना, कबीर बेदी, वरुण शर्मा, मुकेश तिवारी और बाकी किरदारों ने भी सही काम किया है. पंकज त्रिपाठी, जॉनी लीवर और संजय मिश्रा की तिकड़ी आपको अपने संवादों से हंसाने का भरपूर प्रयास करती है.
संगीत
फिल्म की रिलीज से पहले ही इसका संगीत हिट है चाहे वो आइसलैंड में शूट किया गया 'गेरुआ' हो, बेइंतेहा इश्क से भरा 'जनम जनम' हो या फिर ताबड़तोड़ हिप हॉप 'मनमा इमोशन' हो. फिल्म का एक और गीत ' दायरे' कहानी के साथ बखूबी जाता है जिसे मेकर्स ने सरप्राईज के तौर पर रखा था और रिलीज नहीं किया था. प्रीतम का म्यूजिक और अमिताभ भट्टाचार्य की लिखावट सराहनीय है, फिल्म का गीत 'जनम-जनम' पूरी फिल्म की खास धुन है जो समय समय पर आपको सुनाई पड़ती है और थिएटर से बाहर निकलते वक्त भी आप उस गीत को गुनगुनाते हुए नजर आते हैं.
कमजोर कड़ी
हमेशा की तरह इस बार भी फिल्म की कमजोर कड़ी यही है की आपको ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है, जैसा की अक्सर आप रोहित शेट्टी की फिल्मों को देखते वक्त करते हैं. कहानी में उतार-चढ़ाव काफी हैं, जिन्हे हजम करना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन रफ्तार में कोई कमी नहीं है. साथ ही काजोल-शाहरुख की जोड़ी जो सालों बाद पर्दे पर आई है उसको और अच्छे से कैश किया जा सकता था. उनके रोमांस में कुछ तो ऐसा था जो अधूरा-अधूरा सा दिखाई दे रहा था.
क्यों देखें
रोमांस, एक्शन और कॉमेडी के कायल हैं. रोहित शेट्टी की फिल्मों को देखना पसंद करते हैं. शाहरुख-काजोल की जोड़ी को सराहते हैं तो फिल्म एक बार देख सकते हैं.