
वित्त मंत्री अरुण जेटली को नरेंद्र मोदी सरकार में वित्त के अलावा रक्षा मंत्रालय भी सौंपा गया है. 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बावजूद उनकी योग्यता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा दिया.
इससे पहले भी जेटली को वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया. तब उन्हें उद्योग एवं वाणिज्य और कानून मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था. अरुण जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 को एक पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ. पिता महाराज किशन पेशे से वकील थे.
छात्र जीवन
अरुण जेटली ने नई दिल्ली सेंट जेवियर्स स्कूल से 1957-69 तक पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और डीयू से
1977 में लॉ की डिग्री ली. अपनी पढ़ाई के दौरान जेटली को अकादमिक और पाठ्येतर क्रियाकलापों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कई सम्मान मिले. डीयू में पढ़ाई के दौरान
ही वे 1974 में डीयू स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने. जेटली सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता के पद पर भी आसीन रह चुके हैं.
24 मई 1982 को जेटली की शादी संगीता जेटली से हुई. इनके दो बच्चे हैं- रोहन और सोनाली.
छात्र राजनीति
अरुण जेटली दिल्ली यूनिवर्सिटी कैंपस में पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े और 1974 में स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने. इमरजेंसी
(1975-1977) के दौरान जेटली को मीसा के तहत 19 महीना जेल में भी काटना पड़ा. राज नारायण और जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाये गए भ्रष्टाचार विरोधी जनांदोलन
में भी वो प्रमुख नेताओं में से थे. जय प्रकाश नारायण ने उन्हें राष्ट्रीय छात्र और युवा संगठन समिति का संयोजक नियुक्त किया.
वो नागरिक अधिकार आंदोलन में भी सक्रिय रहे और सतीश झा और स्मितु कोठारी के साथ पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज बुलेटिन की शुरुआत की. जेल से रिहा होने के बाद वह जनसंघ में शामिल हो गए.
राजनीतिक जीवन
1991 से ही अरुण जेटली बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे. 1999 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें बीजेपी का प्रवक्ता बना दिया गया. एनडीए की
सरकार में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें 13 अक्टूबर 1999 को सूचना प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया. इसके अलावा पहली बार एक
नया मंत्रालय बनाते हुए उन्हें विनिवेश राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया. राम जेठमलानी के इस्तीफे के बाद 23 जुलाई 2000 को जेटली को कानून, न्याय
और कंपनी मामलों के मंत्री का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया.
नवंबर 2000 में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया और कानून, न्याय और कंपनी मामले के साथ ही जहाजरानी मंत्रालय भी सौंप दिया गया. गौरतलब है कि भूतल परिवहन मंत्रालय के विभाजन के बाद जहाजरानी मंत्रालय के पहले मंत्री अरुण जेटली ही थे. लेकिन 2002 में इन्होंने अपने सभी पदों से इस्तीफा देते हुए वापस पार्टी के महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता बन गए. हालांकि ये फिर 29 जनवरी 2003 को वाजपेयी सरकार से जुड़ गए और केंद्रीय न्याय एवं कानून और उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री बने.
मई 2004 में एनडीए के चुनाव हारने के बाद जेटली वापस बीजेपी के महासचिव बने और इसके साथ ही वो वापस वकालत की प्रैक्टिस में लौटे.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष
इसके बाद वो राज्यसभा के लिए चुने गए और 3 जून 2009 को लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष चुने गए. इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी के
महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि बीजेपी ‘एक नेता एक पद’ के सिद्धांत पर काम करती है. इसके अलावा वो पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति के भी सदस्य रहे.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में उन्हें विशिष्ट वाक्पटुता कौशल और किसी विषय में गहन अनुसंधान के बाद बोलने का श्रेय दिया जाता रहा.
1980 से पार्टी में रहने के बावजूद जेटली ने कभी चुनाव नहीं था तो पार्टी ने उन्हें 2014 के चुनावों में सांसद नवजोत सिंह सिद्धू के जगह पर अमृतसर से उतारा. लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ जेटली चुनाव हार गए.
अब जब बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए को 2014 के चुनावों में अभूतपूर्व सफलता मिली तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में वित्त और रक्षा मंत्रालय सौंप दिया. इसके साथ ही जेटली को एशियाई विकास बैंक के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में भी शामिल किया गया.