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पाकिस्तान में लगा था फिरोज खान पर बैन, विनोद खन्ना संग थी गहरी दोस्ती

फिरोज खान 70 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री के सबसे फैशनेबल एक्टर माने जाते थे. उनकी स्टाइल को लोग फॉलो करते थे. इसके अलावा पर्सनल लाइफ में भी वे काफी कूल मिजाज के थे. उनकी तुलना हॉलीवुड के मशहूर एक्टर क्लिंट ईस्टवुड से की जाती थी.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:19 AM IST

फिरोज खान 70 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री के सबसे फैशनेबल एक्टर माने जाते थे. उनकी स्टाइल को लोग फॉलो करते थे. इसके अलावा पर्सनल लाइफ में भी वे काफी कूल मिजाज के थे. इसमें कोई दो राय नहीं है कि वे एक डैशिंग एक्टर थे. उनकी तुलना हॉलीवुड के मशहूर एक्टर क्लिंट ईस्टवुड से की जाती थी. उनका जन्म अफगानिस्तान से विस्थापित होकर आए एक पठान परिवार में 25 सितंबर, 1939 को जन्म हुआ था. उनका खानदान गजनी का रहने वाला था. उनकी मां ईरानी थीं.

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बता दें कि एक्टर काफी दिलदार थे और जिससे दोस्ती करते थे दिल से निभाते थे. उनके दोस्तों में मशहूर एक्टर विनोद खन्ना भी थे. दोनों की दोस्ती का एक इत्तेफाक ये भी था कि दोनों ही कलाकार का निधन एक ही तारीख को हुआ था. जहां एक तरफ फिरोज खान की डेथ 27 अप्रैल, 2009 में हुई थी. वहीं दूसरी तरफ विनोद खन्ना की डेथ 27 अप्रैल 2017 को हुई.

फिरोज खान और विनोद खन्ना फिल्म दयावान, कुर्बानी और शंकी शंम्भू में साथ नजर आए थे. साल 1980 में आई फिल्‍म 'कुर्बानी' ने विनोद खन्‍ना के खाते में एक और हिट फिल्म ला दी थी. इस फिल्म में फिरोज खान निर्माता, निर्देशक और एक्टर तीनों भूमिका में थे. इस फिल्म के बाद फिरोज खान और विनोद खन्ना की दोस्ती हो गई थी. विनोद खन्ना की तरह फिरोज खान का निधन भी 27 अप्रैल को हुआ था. फिरोज ने 2009 में दुनिया को अलविदा कहा था. 1968 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले विनोद खन्ना ने 140 से ज्यादा फिल्मों में काम किया.

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हालांकि, एक बार वे पड़ोसी देश पहुंचने पर काफी विवादों में भी आ गए थे. पाकिस्तान में वे अपनी फिल्म के प्रचार के लिए पहुंचे थे. फिरोज से भारत में मुसलमानों की खराब हालत को लेकर सवाल किया गया था. फिरोज ने अपने जवाब में कहा था, 'भारत धर्म निरपेक्ष देश है. हमारे यहां मुसलमान प्रगति कर रहे हैं. हमारे राष्ट्रपति मुस्लिम हैं, प्रधानमंत्री सिख हैं. पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर बना था, लेकिन देखिए यहां उनकी कैसी हालत है. एक-दूसरे को मार रहे हैं.' उस कार्यक्रम में 1000 के करीब लोग मौजूद थे. ये साल 2006 की बात है. जिस वक्त फिरोज ने ये बातें कहीं, मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री थे. राष्ट्रपति के पद पर एपीजे अब्दुल कलाम थे. रिपोर्ट के अनुसार इस कार्यक्रम के बाद पाकिस्तान में उन पर बैन लगा दिया गया था.

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