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जब चीन के पास नहीं था कोई विमान, नेहरू ने भेजा तो दिल्ली आए थे PM

जब दिल्ली में नेहरू-चाउ एन लाई समिट आयोजित की गई थी, तब चीन के पास अपना एयरक्राफ्ट तक नहीं था. उन्हें दिल्ली लाने के लिए भारत ने एयर इंडिया की फ्लाइट भेजी थी.

नेहरू- चाऊ एन लाई नेहरू- चाऊ एन लाई
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 27 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 3:54 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर चीन पहुंचे हैं. पीएम मोदी ने यहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात की. पीएम मोदी का यह दौरा दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालात के मद्देनजर काफी अहम माना जा रहा है. इस दौरे से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद सहित कई मुद्दों का हल करने के लिए आमराय बनाने की दिशा में काम करने की भी उम्मीद है.

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भारत-चीन के रिश्तों के संबंध में एक किस्सा याद करने लायक है. चीन के प्रीमियर चाऊ एन लाई 1954 में पहली बार भारत के दौरे पर आए थे. जब दिल्ली में नेहरू-चाऊ एन लाई समिट आयोजित की गई थी, तब चीन के पास अपना एयरक्राफ्ट तक नहीं था. उन्हें दिल्ली लाने के लिए भारत ने एयर इंडिया की फ्लाइट भेजी, जिससे वह भारत आए. इस दौरे में चीनी प्रीमियर चाऊ एन लाई और जवाहर लाल नेहरू ने पंचशील समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें शांतिपूर्ण सह अस्तित्व को लेकर 5 सिद्धांत दिए गए थे. 

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1960 में दोनों देशों के बीच दिल्ली में फिर एक समिट हुई. हालांकि, इससे पहले दलाई लामा भारत में शरण ले चुके थे, जिसके कारण दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी आ गई थी. इस समिट में दोनों देशों के बीच सीमा मसले पर चर्चा हुई, पर इस विवाद का कोई हल नहीं निकला. मामला अनसुलझा देख चीनी पीएम चाऊ ने दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला दी. इसके बाद मामला और बिगड़ गया. इस बार भारत से खफा चाऊ और उनके सहयोगी इल्युशिन एयरक्राफ्ट से चीन लौटे. कुछ दिन पहले ही चीन ने यह नया एयरक्राफ्ट खरीदा था. इस घटना के 2 साल बाद भारत और चीन के बीच युद्ध छिड़ा था.

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25 अप्रैल 1960 को चाऊ की नेहरू के साथ मुलाकात की परिणति एक बड़े गतिरोध के रूप में हुई थी. चाऊ के दौरे की समीक्षा करने के बाद चीन की सरकार ने यह नतीजा निकाला था कि 'भारत समझौते का इच्छुक नहीं है और भारत चीन का विरोध करने के लिए सीमा पर उकसाने वाली गतिविधियां करना चाहता है.'

तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने चीन के साथ नए रिश्तों की बुनियाद रखने के मकसद से वहां की यात्रा की थी लेकिन कोशिश कामयाब नहीं हो पाई. अब फिर से प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से भारत-चीन के रिश्ते सुधरने की उम्मीद की जा रही है.

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