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फ्लिपकार्ट-वॉलमार्ट डील को RSS के संगठन ने बताया अनैतिक, PM मोदी को लिखा पत्र

मंच ने कहा है, "हमें विश्वास है कि आप हस्तक्षेप करेंगे और ये सुनिश्चित करेंगे कि आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति का हित सुरक्षित रहे. वैश्विक स्तर पर छह बड़े देशों के बाद वालमार्ट चीनी सामानों का सबसे आयातक है, और उसका नंबर सातवां है."

स्वदेशी जागरण मंच ने किया वालमार्ट-फ्लिपकार्ट डील का विरोध स्वदेशी जागरण मंच ने किया वालमार्ट-फ्लिपकार्ट डील का विरोध
नंदलाल शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 10 मई 2018,
  • अपडेटेड 9:43 AM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में अमेरिकी खुदरा कंपनी वॉलमार्ट द्वारा प्रमुख भारतीय ऑनलाइन परिचालक फ्लिपकार्ट में 77 प्रतिशत हिस्सेदारी करीब 16 अरब डॉलर ( 1.05 लाख करोड़ रुपये) में खरीदने को 'अनैतिक' और 'राष्ट्रहित के खिलाफ' बताया है. मंच का दावा है कि अमेरिकी रिटेल कंपनी मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया अभियान को 'मार' देगी.

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प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे पत्र में स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है कि संघ और मोदी की बीजेपी के साथ सर्वसम्मति थी कि मल्टी ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश उद्यमशीलता और रोजगार पैदा करने के अवसरों को 'मार डालेगा', जोकि 'किसान विरोधी' है और इसलिए इसे अनुमति नहीं दी जा सकती.

मंच ने कहा है कि आश्चर्यजनक रूप से वॉलमार्ट नियमों को धता बताते हुए भारतीय बाजार पर हमला करने के लिए ई-कॉमर्स के रास्ते का उपयोग कर रहा है. ये बात नोट की जानी चाहिए कि दुनिया में कहीं भी, वॉलमार्ट का कोई मार्केट प्लेस मॉडल नहीं है.

मंच ने कहा है कि वे बड़े भारी मन से पीएम मोदी को पत्र लिख रहे हैं और गुजारिश करते हैं कि वे हस्तक्षेप करेंगे.

दूसरे देशों के अनुभवों और वॉलमार्ट, कास्को के उदाहरण के जरिए मंच ने मल्टी नेशनल कंपनियों द्वारा घरेलू कंपनियों के अधिग्रहण के इतिहास का भी जिक्र किया है.

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पत्र में चेताया गया है कि खतरा अब दरवाजे पर खड़ा है और बाजार में भारी उथल पुथल मच सकती है. इसके साथ ही पत्र में लघु और मध्यम व्यापार, छोटी दुकानें और ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने के मौके के खत्म होने की भविष्यवाणी भी की गई है.

मंच ने कहा है, "हमें विश्वास है कि आप हस्तक्षेप करेंगे और ये सुनिश्चित करेंगे कि आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति का हित सुरक्षित रहे. वैश्विक स्तर पर छह बड़े देशों के बाद वॉलमार्ट चीनी सामानों का सबसे आयातक है, और उसका नंबर सातवां है."

स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि ये अधिग्रहण ई-कॉमर्स के जरिए मल्टी ब्रैंड रिटेल सेक्टर में मल्टी नेशनल कंपनियों की एंट्री साबित होगा.

मंच ने कहा, "इन प्रोडक्ट्स में वे लगातार निवेश करना जारी रखेंगे, जो हमारे छोटे और मध्यम कारोबारियों को खत्म कर देंगे. और आगे ये मेक इन इंडिया के सपने को भी मार देंगे. हम ये भी जानते हैं कि वे फूड के मल्टी ब्रैंड रिटेल में दिलचस्पी रखते हैं, और इन दोनों का संयुक्त उपक्रम किसानों के हित को खत्म कर देगा."

सीपीआई(एम) ने किया डील का विरोध

दूसरी ओर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया(मार्क्सवादी) ने भी फ्लिपकार्ट-वॉलमार्ट डील का विरोध किया है. पार्टी के प्रवक्ता टीकेंदर पंवार ने कहा कि जब बीजेपी विपक्ष में थी, तो उसने मल्टी ब्रैंड रिटेल में एफडीआई को अनुमति देने के यूपीए सरकार के प्रस्ताव का जमकर विरोध किया था और संसद को चलने तक नहीं दिया. लेकिन, अब वे पिछले दरवाजे से वही काम कर रहे हैं.

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पंवार ने कहा, "हम चाहते हैं कि ये सरकार इस बात को सुनिश्चित करे कि छोटे व्यापारियों को कोई खतरा न हो. वाणिज्य मंत्री को इस डील पर अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए."

उन्होंने कहा कि सिंगल ब्रैंड रिटेल सेक्टर में एफडीआई को लेकर कुछ नियम कायदे हैं, लेकिन इस मामले में और ज्यादा सतर्कता की जरूरत है.

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