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छत्तीसगढ़ में फिर बनने लगे बाढ़ के हालात, नर्मदा से लेकर महानदी उफान पर

छत्तीसगढ़ में पिछले दो दिनों से बारिश थमने से इंद्रावती, खारुन शिवनाथ, अरपा, महानदी और नर्मदा नदी के किनारे बसे लोगों ने राहत की सांस ली है. ज्यादातर इलाकों में बाढ़ का पानी उतरने लगा है. बाढ़ से प्रभावित लोग भी अपने घरों की तरफ लौटने लगे हैं. प्रशासन ने राहत और बचाव के काम के दौरान नुकसान का आकलन करना शुरू कर दिया है

छत्तीसगढ़ में बाढ़ का पानी उतरा छत्तीसगढ़ में बाढ़ का पानी उतरा
सुनील नामदेव/अमित रायकवार
  • छत्तीसगढ़ ,
  • 03 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 4:43 PM IST

छत्तीसगढ़ में पिछले दो दिनों से बारिश थमने से इंद्रावती, खारुन शिवनाथ, अरपा, महानदी और नर्मदा नदी के किनारे बसे लोगों ने राहत की सांस ली है. ज्यादातर इलाकों में बाढ़ का पानी उतरने लगा है. बाढ़ से प्रभावित लोग भी अपने घरों की तरफ लौटने लगे हैं. प्रशासन ने राहत और बचाव के काम के दौरान नुकसान का आकलन करना शुरू कर दिया है. ताकि प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया जा सके. बाढ़ के पानी ने सबसे ज्यादा किसानों को प्रभावित किया है. कई इलाकों में फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है. तो कई खेत खलियान जल भराव के चलते बर्बाद हो गए हैं. हालांकि अभी कहीं से भी जान-माल के नुकसान की खबर नहीं आई है.

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छत्तीसगढ़ के जिलो में बारिश का खतरा मंडरा रहा है
छत्तीसगढ़ के ढेड़ दर्जन जिलों में लगातार हुई बारिश से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. हालांकि बीते दो दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश से लोगों ने राहत की सांस ली है. तीन साल बाद राज्य की तमाम प्रमुख नदियां पानी से लबालब है. कई तो खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. बिलासपुर जिले में नर्मदा नदी के अमरकंटक से लेकर रायपुर में खारुन और शिवनाथ, बस्तर में इंद्रावती और महासमुंद में महानदी पुरे उफान पर है. राज्य में अच्छी बारिश हो रही है. हालांकि कुछ एक इलाकों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. बिलासपुर में तेज बारिश की वजह से जगह-जगह पानी भर गया है. शहर के सिरगिट्टी समेत कई इलाकों में लोगों को जल भराव का सामना करना पड़ा. कई स्कुलों में पानी भर जाने से वहां छुट्टी घोषित कर दी गई है. सरकार हालात पर नजर रखे हुए है. मुख्यमंत्री रमन सिंह के मुताबिक पुलिस और प्रशासन को अलर्ट किया गया है. उनकी कोशिश है कि बाढ़ से कहीं भी लोगों को जन धन का नुकासन उठाना पड़ा है.

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फसलों को काफी नुकसान हुआ है
सबसे ज्यादा नुकसान इंद्रावती और नर्मदा नदी के किनारे बसे इलाकों के लोगों को उठाना पड़ा है. उनके खेत खलियानो में बाढ़ का पानी घुस आने से फसले तबाह हो गई हैं. खेती करने वाले कई इलाकों में पानी भरा हुआ है. लिहाजा खेती किसानी को लेकर जबरदस्त नुकसान का अंदेशा है. राज्य में सुकमा, दंतेवाड़ा, कांकेर में जबरदस्त बारिश है. मानसून ने ऐसा असर दिखाया की एक दो दिन में ही कई इलाको में चालीस से पचास सेंटीमीटर तक बारिश हुई है. नतीजतन नदियों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई. अमरकंटक में तो नर्मदा नदी ने तो जैसे रौद्र रूप ही धारण कर लिया है.

किसानों ने ले रखा है कर्ज
नर्मदा नदी का 60 फीसदी हिस्सा मध्यप्रदेश के डिंडोरी और मंडला जिले में आता है. जबकि शेष 40 फीसदी छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले का हिस्सा है. फसलों के नुकसान का आकलन अभी नहीं हुआ है. लेकिन नर्मदा का जल अब भी खेत खलियानों में भरा है. ये वो खेत है, जहां बुआई हुए अभी महीना भर भी नहीं बीता है. लगातार दो बार सूखे का सामना करने के बाद यहां के ज्यादातर किसानों ने कर्ज लेकर बुआई की थी.

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