
PNB महाघोटाले को लेकर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने घपले के लिए बैंक के शीर्ष प्रबंधन को कठघरे में खड़ा किया है. जेटली ने कहा कि अगर एक फर्जीवाड़ा बैंकिंग व्यवस्था की कई शाखाओं में होता है और कोई भी इसके खिलाफ न तो आवाज उठाता है और न ही जानकारी देता है, तो यह एक चिंताजनक स्थिति है.
ग्लोबल बिजनेस समिट में जेटली ने कहा कि इतनी बड़ी तादाद में धोखाधड़ी होती रही, लेकिन किसी ने भी इसके खिलाफ आवाज़ तक नहीं उठाई. ऐसे घपलों में शीर्ष प्रबंधन की उदासीन और परत-दर-परत ऑडिटिंग सिस्टम की व्यवस्था बेहद चिंता पैदा करते हैं.
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि भारत में किसी भी मामले में पॉलिटिशियन की जवाबदेही तो होती है, लेकिन नियामकों (Regulators) की कोई जवाबदेही नहीं होती है, जबकि हकीकत यह है कि नियमों से जुड़े फैसले ये नियामक ही लेते हैं. लिहाजा इनको अपनी तीसरी आंख को हमेशा खोलकर रखना चाहिए.
एक सवाल के जवाब में वित्तमंत्री ने कहा कि विलफुल डिफॉल्ट को बिजनेस में विफलता और बैंक फ्रॉड से भी ज्यादा गंभीर घटना करार दी. वित्तमंत्री ने कहा कि अगर समय-समय पर विलफुल डिफॉल्ट और बैंक फ्रॉड होते रहे, तो कारोबार को आसान बनाने की सारी कोशिश पीछे ही रह जाएंगी और ऐसी परेशानियां आगे आ जाएंगी.
इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने की कई योजनाओं पर भी अपनी बात रखी. चनाव पर खर्च के सवाल पर उन्होंने कहा कि देश में हर साल दो से तीन चुनाव कराना प्रशासन और खर्च के नजरिए से बेहद चुनौतीपूर्ण हैं. अगर देश में पांच साल में एक बार चुनाव हों, तो केंद्र और राज्य की शासन व्यवस्था बेहतर करने में मदद मिलेगी. साथ ही खर्च में कमी लाई जा सकेगी और मजबूत नीतियां बनाई जा सकेंगी.
जब उनसे पूछा गया कि बैंकिंग फ्रॉड की घटनाओं को रोकने का सबसे कारगर उपाय क्या है, तो उन्होंने कहा कि कर्ज लेने और देने वाले के अनैतिक व्यवहार और गठजोड़ को खत्म करने की जरूरत है. इंडस्ट्री को भी कारोबार को आसान बनाने के लिए सही व्यवस्था को आदत में लाना चाहिए.
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने PNB महाघोटाले पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि उनकी सरकार देश में आर्थिक अनियमितताओं के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है और आगे भी उठाएगी. साथ ही प्रधानमंत्री ने वित्तीय संस्थानों को और अधिक निष्ठा के साथ निगरानी का दायित्व निभाने की नसीहत भी दी. पीएम मोदी ने कहा कि जिन वित्तीय संस्थानों को निगरानी और मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वह पूरी ईमानदारी के साथ अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं.