
अगले रेल बजट में नई ट्रेनों या फिर यात्री किराये में रियायत की आश लगाए लोगों को नरेंद्र मोदी सरकार से नाउम्मीदी ही मिलने वाली है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की बातों से तो ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं. दरअसल रेल और आम बजट को एक साथ मिलाए जाने के बाद वित्त मंत्री जेटली ने रेलवे को लेकर खुल कर अपनी राय रखी. उन्होंने साफ किया कि रेल यात्रियों को अच्छी सेवाओं के लिए पूरी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए.
रेलवे को बनना होगा और कॉस्ट इफेक्टिव
वित्त मंत्री ने राजधानी दिल्ली में भारतीय रेलवे की नेशनल कांफ्रेंस ऑन अकाउंटिंग रिफार्म्स के दौरान अपने संबोधन में ये बातें कहीं. उन्होंने इसके साथ भारतीय रेल को रोड ट्रांसपोर्ट और एयरलाइंस जैसे दूसरे सेक्टर्स से मिल रही कड़ी टक्कर का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बावजूद एयरलाइंस ने नवंबर में अच्छा कारोबार किया. रोड ट्रांसपोर्ट और एयरलाइंस से मिल रही कड़ी टक्कर को देखते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि रेलवे को अभी और ज्यादा कॉस्ट इफेक्टिव बनाना होगा.
लोकलुभावन योजनाएं नहीं, अर्थव्यवस्था मजबूती पर ध्यान
अरुण जेटली ने साथ ही सलाह भी दी कि अगर रेलवे अपने बिजनेस मॉड्यूल में बदलाव नहीं करती, तो वह दिन दूर नहीं जब रेल पूरी तरह से कंप्टीशन से बाहर हो जाएगी. और इसके आसार अभी से ही रेलवे की अकाउंट बुक्स में दिखने लगे हैं. जेटली ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने जबसे कार्यभार संभाला है, तभी से यह बात साफ कर दी गई थी कि अब लोकलुभावन योजनाओं के लिए नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने वाले फैसले लिए जाएंगे. अब रेलवे स्टेशनों को एयरपोर्ट की तरह साफ-सुधरा और तमाम सुविधाओँ से लैस करने के इरादे से काम शुरू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अब रेलवे को अपने मूल कारोबार की तरफ ध्यान देना होगा और ट्रेन की खान-पान जैसी दूसरी यात्री सुविधाओँ को आउटसोर्स करना होगा.
वित्त मंत्री की इन बातों से अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि सस्ते रेल सफर के दिन अब गिने-चुने ही रह गए हैं. आने वाले बजट में रेलवे के लिए कोई लोक लुभावन योजना का ऐलान नहीं किया जाएगा और साथ ही में ऐसे कदम उठाएं जा सकते हैं जो रेल यात्रियों के लिए, नहीं बल्कि रेल की माली हालत सुधारने के लिए होगें.