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दिल्ली में चाट खाने वालों के लिए बुरी खबर है. अंग्रेजी अखबार मेल टुडे के मुताबिक दिल्ली में स्ट्रीट फूड पर किए गए सर्वे में चौंका देने वाले नतीजे सामने आए हैं.
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने वेस्ट और सेंट्रल दिल्ली की 100 चाट की दुकानों से जो सैंपल लिए, उसमें हानिकारक कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया हद से ज्यादा पाया गया है. समोसा, गोलगप्पा, मोमोज, बर्गर में कॉलीफॉम बैक्टीरिया की संख्या 2400 तक पाई गई, जबकि सामान्य तौर पर ये संख्या महज 50 या इससे कम होनी चाहिए थी.
डॉक्टरों के मुताबिक कॉली बैक्टीरिया शरीर के पाचन तंत्र को खराब करता है और ऐसा खाना खाने वाला शख्स डायरिया का शिकार हो जाता है. यानी तपती गरमी में बीमार होने बचना है तो अपनी जबान पर काबू रखें और ऐसे खाने से तौबा करें.
इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंटस, केटरिंग और न्यूट्रिशन की डॉ. अर्पिता शर्मा ने कहा, 'गोलगप्पा के पानी में कोलिफॉर्म टेस्ट पॉजिटिव आने का मतलब है कि उसमें भारी मात्रा में मलीय गंदगी मौजूद है.'
फ्रेंचाइजी स्टॉल से ज्यादा ठेले पर मिलने वाला खाना बेहतर
टेस्ट में यह बात साबित हुई है कि सड़क किनारे ठेले पर मिलने वाला खाना, छत के नीचे वेंडरों के स्टॉल पर मिलने वाले खाने से बेहतर है. ऐसा
इसलिए क्योंकि ठेलेवाले जंक फूड ऑर्डर देने पर बनाते हैं. लेकिन फ्रेंचाइजी फूड वेंडर तैयार खाने को गर्म कर सर्व करते हैं. इसे खाना और भी
हानिकारक हो जाता है.
क्या कहता है कानून
भारत में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया कानून 2006 के मुताबिक गंदा खाना बेचने वाले पर एक लाख जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
अगर किसी को फूड प्वॉइजनिंग होती तो खाना बेचने वाले को जेल की सजा भी हो सकती है.
वेस्ट और सेंट्रल दिल्ली में हुआ सर्वे
कनॉट प्लेस, रजौरी गार्डन, राजेंद्र प्लेस और सुभाष नगर से सैंपल लिए गए. टेस्ट के लिए सड़क किनारे मिलने वाले और कुछ फ्रेंचाइजी वेंडर से
खाने के सैंपल लिए गए.